बीते 16 जून को केंद्र और राज्य सरकार के सिक्योरिटीज में बैंकों का निवेश 15.2 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 57.83 लाख करोड़ रुपये रहा। डीलर्स ने बताया कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी की वजह से इन इंस्ट्रूमेंट्स की यील्ड ऊंची हो गई है। इस वजह से ये इंस्ट्रूमेंट्स बैंक और अन्य इकाइयों के लिए निवेश का आकर्षक विकल्प बन गए हैं। ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने पर इन इंस्ट्रूमेंट्स की यील्ड भी ऊंची हो जाती है, जबकि कीमतों में गिरावट होती है। बॉन्ड की कीमतें और यील्ड एक-दूसरे से उल्टी दिशाओं में आगे बढ़ते हैं।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 16 जून, 2023 को सिक्योरिटीज में बैंकों के निवेश में 15.2 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई, जबकि 17 जून, 2022 को इस ग्रोथ का आंकड़ा 6.6 पर्सेंट रहा। इन सिक्योरिटीज में बैंकों का कुल निवेश 16 जून, 2023 को 57.83 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि 17 जून 2022 को यह निवेश 50.21 लाख करोड़ था। साथ ही, 18 जून, 2021 को यह निवेश 47.11 करोड़ था।
जे एम फाइनेंशियल (JM Financial) के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) अजय मंगलुनिया के मुताबिक, बैंक क्रेडिट ग्रोथ 15 पर्सेंट के ऊंचे लेवल पर बनी रही, लेकिन दिसंबर 2022 की तुलना में यह कम है। दिसंबर 2022 में यह ग्रोथ 17 पर्सेंट थी। जून 2023 में डिपॉजिट ग्रोथ बढ़कर 12 पर्सेंट पर पहुंच गई, जबकि पहले यह 9 पर्सेंट थी।
उन्होंने बताया, 'SLR (स्टैचुटोरी लिक्विडिटी रेशियो) 29 पर्सेंट से ऊपर है और डिपॉजिट ग्रोथ भी अच्छी है। इस वजह से बैंकों ने अपनी रकम सरकारी सिक्योरिटीज और स्टेट डिवेलपमेंट लोन (SDL) में लगाया है।' ग्रांट थॉर्नटन भारत (Grant Thornton Bharat) में पार्टनर विवेक अय्यर ने बताया कि ग्लोबल लेवल पर मैक्रो-इकनॉमिक हालात को ध्यान में रखते हुए कई कंपनियां अपने दूसरे कार्यों को प्राथमिकता दे रही हैं, जबकि निवेश को टाल रही हैं। इससे बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी (कैश) बढ़ गई है और सरकारी सिक्योरिटीज और एसडीएल में निवेश बढ़ रहा है।
क्या इससे बैंकों को मदद मिली?
सरकारी सिक्योरिटीज की यील्ड में हाल में हुई गिरावट से बैंकों को अपना निवेश बढ़ाने में मदद मिली है। मार्क-टू-मार्केट लाभ के कारण बैंकों के लिए यह निवेश मुमकिन हुआ। अय्यर ने कहा,'आम तौर पर यील्ड में किसी भी तरह की गिरावट फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो पर मार्क-टू मार्केट लाभ होता है। हालांकि, मार्क-टू मार्केट लाभ निवेश में बढ़ोतरी की अहम वजह नहीं है, लेकिन इससे फायदा मिलता है।'
मार्क-टू-मार्केट एक अकाउंटिंग टूल है, जिसका इस्तेमाल मौजूदा बाजार मूल्य पर एसेट्स के मूल्यांकन में किया जाता है। सिक्योरिटीज पर यील्ड में बढ़ोतरी होने पर निवेशकों को मार्क-टू-मार्केट नुकसान का सामना करना पड़ता है, जबकि यील्ड में गिरावट होने पर उन्हें इस मोर्चे फायदा होता है।
क्या बैंकों का निवेश जारी रहेगा?
डीलर्स का मानना है कि बैंकों द्वारा इन सिक्योरिटीज में निवेश क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ पर निर्भर करता है। क्रेडिट ग्रोथ कम और डिपॉजिट ग्रोथ ज्यादा रहने पर बैंकों को इन सिक्योरिटीज में निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। मंगलुनिया के मुताबिक, 'ब्याज दरों में कटौती का अनुमान चल रहा है, लेकिन सरकारी सिक्योरिटीज/एसडीएल में निवेश क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ पर निर्भर करेग। अगर डिपॉजिट ग्रोथ मजबूत है, तो बैंक इसमें और पैसा लगाएंगे।'