हम अपनी अलग अलग तरह की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कई बार लोन का सहारा लेते हैं। जैसे कि अगर हमें घर खरीदना है तो हमको होम लोन (Home Loan) की जरूरत पड़ती है। वहीं कई बार हमको अपनी कुछ निजी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्सनल लोन (Personal Loan) का सहारा लेना पड़ता है। सभी तरह के बैंक अलग अलग इंटरेस्ट रेट पर ग्राहकों को पर्सनल लोन ऑफर करते हैं। आम तौर पर पर्सनल लोन पर वसूल किया जाने वाला ब्याज दूसरे लोन के मुकाबले थोड़ा ज्यादा होता है। हालांकि आप सस्ते इंटरेस्ट रेट पर भी पर्सनल लोन को हासिल कर सकते हैं। पर्सनल लोन की ब्याज दर कई सारे फैक्टर्स पर निर्भर करती है। इसमें क्रेडिट हिस्ट्री और क्रेडिट स्कोर जैसे कई सारे फैक्टर्स शामिल होते हैं।
पर्सनल लोन के इंटरेस्ट रेट पर असर डालती हैं ये बातें
कोई भी बैंक किसी को भी पर्सनल लोन देने से पहले यह जरूर देख लेते हैं कि वह व्यक्ति उसे चुका पाने में सक्षम है भी या नहीं। इसके लिए सबसे पहले बैंक लोन लेने वाले व्यक्ति के इनकम सोर्स की जांच भी करता है। जिसके आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि उस व्यक्ति को पर्सनल लोन देने में कितना जोखिम शामिल हो सकता है। इसके बाद बैंक पर्सनल लोन के तौर पर मांगी गई रकम और इनकम दोनों पर विचार करके पर्सनल लोन की ब्याज को ब्याज को तय करता है।
मायने रखता है सिबिल स्कोर
पर्सनल लोन या फिर किसी भी तरह का लोन लेते वक्त सिबिल स्कोर भी काफी मायने रखता है। सिबिल स्कोर पहले से लिए गए लोन, क्रेडिट कार्ड और इस तरह के दूसरे हिसाब-किताब को देख कर तैयार किया जाता है। सिबिल स्कोर के जरिए कोई बैंक यह तय करता है कि किसी को लोन के तौर पर कितना पैसा दिया जा सकता है। सिबिल स्कोर जितना अच्छा होगा लोन मिलने की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होगी। आम तौर पर 750 से ज्यादा का सिबिल स्कोर अच्छा माना जाता है। साथ ही आपको यह भी बता दें कि RBI के रेपो रेट से भी पर्सनल लोन की ब्याज दरों पर असर पड़ता है।