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Budget 2023: इनकम टैक्स की नई रीजीम को अट्रैक्विट बनाने के लिए क्या कर सकती हैं वित्त मंत्री?

Budget 2023: एक्सपर्ट्स का कहना है कि न्यू टैक्स रीजीम में लोगों के दिलचस्पी नहीं दिखाने की कुछ खास वजहें हैं। सरकार को इसकी कमियां समझ में आ गई होंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे अट्रैक्टिव बनाने के लिए कुछ उपायों का ऐलान बजट में कर सकती हैं

Curated By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Jan 06, 2023 पर 2:59 PM
Budget 2023: इनकम टैक्स की नई रीजीम को अट्रैक्विट बनाने के लिए क्या कर सकती हैं वित्त मंत्री?
सरकार ने 2020 के बजट में यह कहते हुए नई टैक्स रीजीम (New Tax Regime) को पेश किया था कि यह टैक्सपेयर्स के हित में और काफी आसान है। लेकिन, इसे टैक्सपेयर्स का अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला है।

Budget 2023: सरकार ने 2020 के बजट में यह कहते हुए नई टैक्स रीजीम (New Tax Regime) को पेश किया था कि यह टैक्सपेयर्स के हित में और काफी आसान है। लेकिन, इसे टैक्सपेयर्स का अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला है। टैक्स एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि इसमें बदलाव करना जरूरी है। पूर्व रेवेन्यू सेक्रेटरी तरूण बजाज ने भी हाल में कुछ बदलाव कर इसे टैक्सपेयर्स के लिए अट्रैक्टिव बनाने की जरूरत बताई थी। नई रीजीम में टैक्स स्लैब को तो तर्कसंगत बनाया गया है, लेकिन टैक्स एग्जेम्प्शंस वापस ले लिए गए हैं। पुरानी टैक्स रीजीम में इनकम टैक्स एक्ट के 80सी, 80डी, 24 सहित कई सेक्शन में डिडक्शंस की सुविधा मिलती है। इसलिए आज भी ज्यादातर टैक्सपेयर्स इसका इस्तेमाल करते हैं।

नौकरी करने वाले लोगों को एक फायदा यह है कि उन्हें हर साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए नई और पुरानी रीजीम में से किसी एक को सेलेक्ट करने की सुविधा मिलती है। टैक्स कंसल्टेंट्स का मानना है कि सरकार को कम से कम से जरूरी खर्चों को ध्यान में रखते हुए रूटीन डिडक्शंस के फायदे नई रीजीम में भी देने चाहिए। अभी 60 साल से ऊपर के लोगों के लिए दोनों ही टैक्स रीजीम में टैक्स से छूट के लिए इनकम की लिमिट 2.5 लाख रुपये है। हालांकि, सरकार सेक्शन 87ए के तहत ऐसे टैक्सपेयर्स को रिबेट देती है, जिनकी सालाना इनकम 5 लाख रुपये से कम है। इसका मतलब है कि उन्हें एक तरह से कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है।

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केपीएमजी इंडिया के पार्टनर और हेड पारिजाद सिरवाला (ग्लोबल मोबिलिटी सर्विसेज) ने कहा, "इसके अलावा पुरानी रीजीम को सेलेक्ट करने वाले टैक्सपेयर्स को सेक्शन 80सी के तहत सालाना 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है। इसलिए ग्रॉस इनकम जिस पर कोई टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं है, पुरानी रीजीम में बहुत ज्यादा है।"

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