Cheque: चेक का इस्तेमाल कभी न कभी तो लगभग सभी ने किया ही होगा। जब भी चेक से पेमेंट किया जाता है तो इसमें पैसे पाने वाले का नाम, बैंक डिटेल्स के साथ कितना अमाउंट ट्रांसफर करना है। ये सारी जानकारी मुहैया कराई जाती है। इसके बाद हस्ताक्षर किए जाते हैं। आपने चेक में भी IFSC और MICR लिखा हुआ जरूर देखा होगा। बहुत से लोग नहीं जानते हैं कि आखिर चेक में ये सब क्यों लिखा होता है। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि IFSC का फुल फॉर्म इंडियन फाइनेंसियल सिस्टम कोड (indian financial system code) है। यह एक 11 कैरेक्टर का अल्फ़ान्यूमेरिक कोड है।
यह भारत भर में इलेक्ट्रॉनिक मनी ट्रांसफर (Electronic Money Transfer) के लिए उपयोग किया जाता है। देश भर में कहीं भी किसी बैंक की शाखा (Bank Branch) की पहचान करनी हो तो IFSC कोड के जरिए पहचान कर सकते हैं। जब कोई व्यक्ति इमीडिएट पेमेंट सर्विसेज (IMPS), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) सिस्टम के माध्यम से कोई भुगतान या फंड ट्रांसफर करता है तो आईएफएससी कोड की सहायता से ही किया जाता है।
मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकॉग्निशन कोड को MICR कोड कहा जाता है। यह एक 9 अंकों का कोड होता है। उन बैंक शाखाओं की पहचान करता है जो इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम (ESC) में हिस्सा ले रहे होते हैं। इसका इस्तेमाल चेक क्लियरिंग प्रोसेस में होता है। हर चेक लीफ के नीचे मैग्नेटिक इंक कोड बार होते हैं। यही MICR Code होता है और इसे बैंक ही डीकोड कर सकता है। यह कैरेक्टर रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी पर काम करता है। इससे ब्रांच को पहचाना जाता है। MICR कोड का उपयोग बैंकों की ओर से निकासी और अन्य बैंक डॉक्यूमेंट्स की जांच के लिए किया जाता है। MICR कोड में कंट्रोल इंडिकेटर के साथ बैंक कोड, अकाउंट की डिटेल, अमाउंट और चेक नंबर जैसी तमाम जानकारी लिखी रहती है।
MICR Code, IFSC Code से कैसे अलग होता है?
IFSC Code का इस्तेमाल भारत के अंदर किसी भी तरह के ऑनलाइन या इलेक्ट्रॉनिक मनी ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, MICR कोड का इस्तेमाल ग्लोबली फंड ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। IFSC Code में बैंक कोड और ब्रांच कोड होता है, वहीं, MICR Code में पिन कोड, बैंक कोड और ब्रांच कोड होता है।