प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों की सैलरी से हर महीने कुछ पैसा ईपीएफ में जाता है। ईपीएफ में जमा पैसे पर हर साल इंटरेस्ट मिलता है। रिटायरमेंट के बाद यह पैसा एंप्लॉयी को एकमुश्त मिल जाता है। क्या आप जानते हैं कि एंप्लॉयर हर महीने एंप्लॉयी के ईपीएफ अकाउंट में जितना कंट्रिब्यूट करता है उसका कुछ हिस्सा एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (ईपीएस) में जाता है? क्या है यह ईपीएस? इसके क्या फायदे हैं? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं।
ईपीएस के तहत पेंशन के लिए शर्तें
Employees' Pension Scheme (EPS) ईपीएफ का हिस्सा है। इस स्कीम में जमा पैसे से एंप्लॉयी को रिटायरमेंट के बाद हर महीने पेंशन मिलती है। ईपीएस से पेंशन के लिए कुछ शर्तें हैं। एंप्लॉयी की पेंशनएबल सर्विस कम से कम 10 साल की होनी चाहिए। फिर 58 साल की उम्र में रिटायर करने पर उसे पेंशन मिलने लगती है। अगर किसी एंप्लॉयी की पेंशनएबल सर्विस 10 साल से कम है तो उसे पेंशन नहीं मिलेगी। उसके ईपीएस में जमा पैसा रिटायरमेंट पर उसे एकमुश्त मिल जाएगा।
ईपीएस अकाउंट में कंट्रिब्यूशन
1990 के दशक के मध्य या उसके बाद ईपीएफ का हिस्सा बनने वाला एंप्लॉयी अपने आप ईपीएस का मेंबर बन जाता है। ईपीएफ के तहत हर महीने आपकी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी आपके ईपीएफ अकाउंट में जाता है। एंप्लॉयर भी आपकी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी रह महीने आपके ईपीएफ अकाउंट में कंट्रिब्यूट करता है। एंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन का कुछ हिस्सा हर महीने आपके ईपीएस अकाउंट में जमा होता है। यह आपके वेजेज का 8.33 फीसदी होता है। एंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन का बाकी हिस्सा आपके ईपीएफ में जाता है।
ईपीएस पेंशन के लिए फॉर्मूला
ईपीएस के तहत एंप्लॉयी की मंथली पेंशन एक फॉर्मूला से तय होती है। पेंशन = (पेंशनएबल सैलरी X पेंशनएबल सर्विस) ÷ 70 । यहां पेंशनएबल सैलरी का मतलब आपकी अंतिम 60 महीनों की सैलरी से है, जिससे ईपीएस में कंट्रिब्यूशन गया है। पेंशनएबल सर्विस का मतलब ईपीएस के तहत पूरे किए गए कुल साल से है। इस फॉर्मूला को हम एक उदाहरण की मदद से समझ सकते हैं। मान लीजिए आपकी पेंशनएबल सैलरी 15,000 रुपये है और आपने 30 साल की पेंशनएबल सर्विस पूरी की है। तो आपकी पेंशन 15,000 × 30 ÷ 70 ≈ 6,428 रुपये प्रति माह होगी।
पीएफ का पैसा निकालने पर पेंशन नहीं
प्राइवेट नौकरी करने वाले कई लोग नौकरी बदलते रहते हैं। कुछ लोग नौकरी छोड़कर बीच में पढ़ाई करने लगते हैं। ऐसे लोग पीएफ में जमा अपना पैसा निकाल लेते हैं। हालांकि, नौकरी बदलने वाले लोगों के लिए पीएफ का पैसा दूसरे एंप्लॉयर के पास ट्रांसफर कराने का विकल्प होता है। पीएफ से पैसा निकालने का असर पेंशन की आपकी एलिजिबिलिटी पर पड़ता है। अगर 10 साल की पेंशनएबल सर्विस पूरी होने से आप पीएफ का पैसा निकाल लेते हैं तो आप ईपीएस के तहत पेंशन के हकदार नहीं रह जाते हैं।