पिछले कुछ महीनों से स्टॉक मार्केट का सेंटिमेंट मजबूत बना हुआ था। लंबे समय बाद रियल एस्टेट मार्केट में भी रौनक लौटी थी। लेकिन, फाइनेंस मिनिस्टर ने बजट में निवेशकों पर कैपिटल गेंस टैक्स का बम गिरा दिया है। शेयरों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। शेयरों पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है। रियल एस्टेट के निवेशकों के लिए यूनियन बजट मिलाजुला रहा है।
प्रॉपर्टी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (Long Term Capital Gains Tax) 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। लेकिन, कॉस्ट इंडेक्सेशन (Cost Indexation) का बेनेफिट खत्म कर दिया गया है। इनवेस्टर्स इस बेनेफिट की वजह से रियल एस्टेट में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाते थे। इन बदलावों का अच्छा असर पड़ेगा या खराब, यह अलग-अलग मामले पर निर्भर करेगा। हालांकि, वित्तमंत्री ने कहा है कि कैपिटल गेंस के नियमों को आसान बनाने के लिए ये बदलाव किए गए हैं।
आइए 23 जुलाई, 204 से प्रभावी फाइनेंस एक्ट में टैक्स के नियमों में किए गए बदलावों के बारे में विस्तार से जानते है:
1. अब किसी एसेट्स के लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म के निर्धारण के लिए सिर्फ दो होल्डिंग पीरियड होंगे। सभी लिस्टेड सिक्योरिटीज के लिए यह 12 महीने होगा, जबकि गोल्ड, बॉन्ड, डिबेंचर्स सहित सभी दूसरी सिक्योरिटीज के लिए यह 24 महीने होगा। अनलिस्टेड शेयरों और रियल एस्टेट के लिए पहले से यह 24 महीने है।
2. सेक्शन 111ए के तहत शेयरों और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंडों पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है।
3. शेयरों और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंडों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स से एग्जेम्प्शन के लिए लिमिट 1,00,000 रुपये से बढ़ाकर 1,25,000 रुपये कर दी गई है।
4. लिस्टेड बॉन्ड्स और डिबेंचर्स पर भी 12.5 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लागू होगा।
5. रियल एस्टेट पर बगैर इंडेक्सेशन बेनेफिट 12.5 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लागू होगा।
6. सेक्शन 50एए के तहत अनलिस्टेड बॉन्ड्स और डिबेंचर्स पर इनवेस्टर के स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगेगा।
उपर्युक्त बदलाव के अलावा ऑप्शंस पर STT 0.0625 फीसदी से बढ़ाकर 0.1 फीसदी कर गया है। फ्यूचर्स पर 0.0125 फीसदी से बढ़ाकर 0.02 फीसदी कर दिया गया है। यह बदलाव 1 अक्टूबर, 2024 से लागू हो जाएगा।
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टैक्स में इन बदलावों से अलग-अलग एसेट क्लास के इनवेस्टर्स को झटका लगा है। स्टॉक मार्केट्स पर भी इसका असर पड़ा है। खासकर रियल एस्टेट के निवेशकों को ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि रियल एस्टेट के ट्रांजेक्शन में काफी समय लगता है। इसके उलट लिस्टेड शेयरों में ट्रांजेक्शन के लिए सिर्फ एक बटन दबाना होता है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि सरकार इनकम के अलग-अलग हेड में टैक्स बढ़ा रही है और एग्जेम्प्शन खत्म कर रही है।
(अभिषेक अनेजा सीए हैं। वह इनकम टैक्स से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट हैं।)