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Gold Tax Rule: दादी से मिली ज्वैलरी को बेचने पर क्या मुझे टैक्स देना पड़ेगा, इस बारे में टैक्स के नियम क्या हैं?

गोल्ड ज्वैलरी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ट्रांसफर होती रहती है। अगर कोई व्यक्ति विरासत में मिले गोल्ड को बेचता है तो उस पर हुआ गेंस टैक्स के दायरे में आता है। गोल्ड की खरीद की तारीख और खरीद की कीमत के आधार पर टैक्स का निर्धारण होता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 05, 2025 पर 4:50 PM
Gold Tax Rule: दादी से मिली ज्वैलरी को बेचने पर क्या मुझे टैक्स देना पड़ेगा, इस बारे में टैक्स के नियम क्या हैं?
अगर गोल्ड ज्वैलरी 24 महीने बाद बेची जाती है तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स के नियम लागू होंगे। इसका रेट बगैर इंडेक्सेशन 12.5 फीसदी है।

गोल्ड ज्वैलरी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ट्रांसफर होती रहती है। गोल्ड ज्वैलरी को बेचने पर टैक्स के नियमों के बारे में कई लोग नहीं जानते हैं। टैक्स के नियमों को ठीक तरह से जानने और उनका पालन करने पर इनकम टैक्स का नोटिस आने का डर नहीं रहता है। सवाल है कि क्या दादी से मिली गोल्ड ज्वैलरी को बेचने पर टैक्स लगेगा? मनीकंट्रोल ने इस सवाल का जवाब जानने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराणा से बातचीत की।

सुराणा ने कहा कि अगर कोई रिटायर्ड व्यक्ति दादा-दादी या माता-पिता से मिली गोल्ड ज्वैलरी (Gold Jewellery) को बेचने का प्लान बना रहा है तो उसे इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत टैक्स के नियमों के बारे में ठीक तरह से जान लेना जरूरी है। अगर गोल्ड ज्वैलरी अगर किसी को विरासत में भी मिली है तो वह कैपिटल गेंस टैक्स के दायरे में आती है। इसका मतलब है कि उसे बेचने से होने वाले गेंस पर टैक्स लगेगा। इसे एक उदाहरण की मदद से आसानी से समझा जा सकता है।

मान लीजिए एक व्यक्ति को उसकी मां की तरफ से तीन मौकों पर गोल्ड ज्वैलरी मिलती है। पहली बार 1981 में शादी के मौके पर मिलती है। फिर 2001 और 2005 में बच्चों के जन्म पर मिलती है। इस पर टैक्स इस पर निर्भर करेगा कि मां (पिछला मालिक) ने इस ज्वैलरी को किस तारीख को और कितनी कीमत में खरीदी थी। 1981 में मिली ज्वैलरी के लिए मां की खरीद कीमत और 1 अप्रैल, 2001 को फेयर मार्केट वैल्यू (FMV) में से जो ज्यादा होगी, वह कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन (खरीद मूल्य) मानी जाएगी।

2001 और 2005 में मिली ज्वैलरी के मामले में दो स्थितियां बनती हैं। पहला, इसे मां ने खरीदा था। दूसरा, इसे मां को दादी ने दी थी। 1 अप्रैल, 2001 को एफएमवी वैल्यू पर तभी विचार होगा, जब यह ज्वैलरी मां को इस तारीख से पहले मिली हो। अगर ज्वैलरी खरीदने की रसीद उपलब्ध नहीं है तो उसकी वैल्यूएशन हिस्टोरिकल प्राइस रेफरेंसेज के आधार पर तय होगी। ज्वैलर्स या उनकी एसोसिएशन इसे (हिस्टोरिकल प्राइस रेफरेंसेज) पब्लिश करती हैं। इसके साथ वैल्यूअर का सर्टिफिकेट/रिपोर्ट होता है।

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