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जानना चाहते हैं नौकरी छोड़ने या रिटायरमेंट पर कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी? इस फॉर्मूला से आसानी से कर सकते हैं कैलकुलेशन

ग्रेच्युटी पर पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 लागू होता है। प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को इस एक्ट के हिसाब से शर्तें पूरी करने वाले एंप्लॉयीज को ग्रेच्युटी का पेमेंट करना पड़ता है। ग्रेच्युटी के तहत मिलने वाला एकमुश्त अमाउंट बहुत काम आता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 16, 2024 पर 5:32 PM
जानना चाहते हैं नौकरी छोड़ने या रिटायरमेंट पर कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी? इस फॉर्मूला से आसानी से कर सकते हैं कैलकुलेशन
ग्रेच्युटी का हकदार होने के लिए पहली शर्त यह है कि किसी कंपनी में आपकी नौकरी कम से कम पांच साल पूरी होनी चाहिए।

प्राइवेट और गवर्नमेंट दोनों सेक्टर में नौकरी करने वाले लोग ग्रेच्युटी के हकदार होते हैं। एक तरह से यह लंबे समय तक काम करने के एवज में एंप्लॉयर की तरफ से एंप्लॉयी को मिलने वाला रिवॉर्ड है। लेकिन, इसके कुछ नियम और शर्तें हैं। ग्रेच्युटी पर पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 लागू होता है। प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को इस एक्ट के हिसाब से शर्तें पूरी करने वाले एंप्लॉयीज को ग्रेच्युटी का पेमेंट करना पड़ता है। ग्रेच्युटी के तहत मिलने वाला एकमुश्त अमाउंट बहुत काम आता है। रिटायरमेंट की स्थिति में तो इसकी अहमियत और बढ़ जाती है।

ग्रेच्युटी का हकदार होने के लिए क्या है शर्त?

ग्रेच्युटी का हकदार होने के लिए पहली शर्त यह है कि किसी कंपनी में आपकी नौकरी कम से कम पांच साल पूरी होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति नौकरी 5 साल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे देता है तो उसे ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी। कई प्राइवेट कंपनियों की कॉस्ट-टू-कंपनी (CTC) में ग्रेच्युटी पेमेंट भी शामिल होता है। लेकिन, यह पैसा एंप्लॉयी को तभी मिलता है, जब उसकी नौकरी कम से कम पांच साल की हो जाती है। इससे पहले नौकरी छोड़ने पर ग्रेच्युटी का पूरा पैसा डूब जाता है।

इन स्थितियों में भी एंप्लॉयी ग्रेच्युटी का हकदार होता है

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