GST सुधार से रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को भी बड़ी राहत मिली है। 56वीं GST काउंसिल ने फैसला किया है कि अब सोलर पैनल, सोलर कुकर और ऐसे ही दूसरे सोलर प्रोडक्ट्स पर टैक्स घटा दिया जाएगा। पहले इन पर 12% जीएसटी लगता था, लेकिन अब यह सिर्फ 5% होगा। नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी।
किन आइटम्स पर कितना जीएसटी?
अब सोलर कुकर, सोलर लालटेन, सोलर वाटर हीटर, सोलर पैनल, फोटोवोल्टाइक सेल और सोलर पावर जेनरेटर जैसे सभी आइटम्स पर सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा। पहले इन पर 12% टैक्स देना पड़ता था। यही नहीं, विंड मिल्स, वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स और टाइडल एनर्जी डिवाइस पर भी टैक्स घटाकर 5% कर दिया गया है। यहां तक कि हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाले गाड़ियों पर भी अब सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा।
सरकार चाहती है कि सोलर और विंड जैसे क्लीन एनर्जी प्रोडक्ट्स आम लोगों के लिए और सस्ते हों। 5% टैक्स से इनकी शुरुआती कीमत कम होगी, जिससे ज्यादा लोग इन्हें खरीद पाएंगे। यह कदम देश के क्लाइमेट और ग्रीन एनर्जी टारगेट्स से भी जुड़ा है।
अगर कोई आप ₹80,000 का सोलर सिस्टम लगवाते हैं तो पहले 12% GST के हिसाब से उसे ₹9,600 टैक्स देना पड़ता। ऐसे में कुल कीमत ₹89,600 पड़ती थी। लेकिन अब 5% GST लागू होने के बाद टैक्स सिर्फ ₹4,000 देना होगा और कुल खर्च ₹84,000 आएगा। इस तरह आपको सीधा ₹5,600 की बचत होगी। हालांकि, यह बचत तभी होगी, जब सोलर कंपनियां पूरा फायदा ग्राहकों को ट्रांसफर करें।
इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की दिक्कत
हालांकि, एक समस्या यह भी है कि इन प्रोडक्ट्स के कच्चे माल पर ज्यादा टैक्स लगता है और तैयार प्रोडक्ट पर कम। इसे इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर कहते हैं। इससे कंपनियों के पास इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) जमा होता रहता है।
सरकार ने माना है कि 5% जीएसटी से यह दिक्कत और बढ़ेगी, लेकिन इसके लिए रिफंड का सिस्टम पहले से मौजूद है और अब उसे और तेज करने की तैयारी है, ताकि कंपनियों का कैश फ्लो अटके नहीं।
सरकार ने अब जीएसटी को आसान बनाते हुए सिर्फ दो स्लैब रखे हैं – 5% और 18%। पहले चार स्लैब थे – 5%, 12%, 18% और 28%। इसके अलावा लक्ज़री और सिन गुड्स के लिए 40% का अलग स्लैब भी है। इससे रोजमर्रा की चीजें जैसे बटर, घी, शैम्पू और एसी, टीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स भी सस्ते होंगे। इसका सीधा फायदा मिडिल क्लास को मिलेगा।