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Home Loan का इंटरेस्ट बढ़ने से परेशान हैं? अपनाएं यह तरीका तो 50 लाख के लोन पर 33 लाख रुपये इंटरेस्ट बचा सकते हैं आप

पिछले साल मई में रेपो रेट 4 फीसदी था, जो अब बढ़कर 6.5 फीसदी हो गया है। इसका सीधा असर होम लेने वाले लोगों पर पड़ा है। बैंकों ने उनके होम लोन की अवधि बढ़ा दी है। इससे उन पर होम लोन के इंटरेस्ट का बोझ काफी बढ़ गया है। होम लोन की अवधि जितनी लंबी होती है, ग्राहक पर इंटरेस्ट का बोझ उतना ही ज्यादा आता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 12, 2023 पर 1:52 AM
Home Loan का इंटरेस्ट बढ़ने से परेशान हैं? अपनाएं यह तरीका तो 50 लाख के लोन पर 33 लाख रुपये इंटरेस्ट बचा सकते हैं आप
RBI ने 18 अगस्त को एक नोटिफिकेशन जारी किया है। यह बैंकों के लिए है। यह होम लोन ग्राहकों के लिए बहुत फायदेमंद है। लेकिन, होम लोन के कई ग्राहकों को इस नोटिफिकेशन के बारे में पता नहीं है।

पिछले साल मई में RBI ने रेपो रेट बढ़ाना शुरू किया था। इस दौरान उसने रेपो रेट 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। इसका सीधा असर होम लेने वाले लोगों पर पड़ा है। बैंकों ने उनके होम लोन की अवधि बढ़ा दी है। इससे उन पर होम लोन के इंटरेस्ट का बोझ काफी बढ़ गया है। होम लोन की अवधि जितनी लंबी होती है, ग्राहक पर इंटरेस्ट का बोझ उतना ही ज्यादा आता है। कई लोगों ने होम लोन लेते वक्त कई चीजों के आधार पर इंटरेस्ट का कैलकुलेशन किया था। उनका मानना था कि रिटायरमेंट से काफी पहले उनका होम लोन खत्म हो जाएगा, जिससे वे अपनी दूसरी जरूरतों पर फोकस कर सकेंगे। लेकिन, रेपो रेट करीब एक साल में ढ़ाई फीसदी बढ़ जाने से बैंकों ने ग्राहकों के होम लोन की अवधि बढ़ा दी है, जिससे उनका कुल कैलकुलेशन गड़बड़ा गया है। कई लोगों का होम लोन अब उनके रिटायर होने तक चलता रहेगा।

इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर लोन की अवधि बढ़ा देते हैं बैंक

यहां ध्यान देने वाली एक बात यह है कि अब तक इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर बैंक ग्राहकों के होम लोन की अवधि बढ़ा देते थे। इस बारे में वे ग्राहकों की राय नहीं पूछते थे। यह एक तरह से बैंकों का प्रैक्टिस बन गया था। दरअसल, बैंकों का यह मानना था कि अगर ग्राहकों को EMI अमाउंट बढ़ाने का मौका दिया जाता है तो इससे डिफॉल्ट का खतरा बढ़ जाएगा। इसकी वजह यह है कि कई लोग पहले से ही मुश्किल से होम लोन की EMI चुकाने की स्थिति में होते हैं। इंटरेस्ट लगातार बढ़ने पर अगर लोन की अवधि नहीं बढ़ाई गई तो EMI अमाउंट बहुत बढ़ जाएगा। ऐसे में कई लोग लोन पर डिफॉल्ट कर सकते हैं। इससे बैंकों को बहुत नुकसान होगा।

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