क्या आपने भी किसान विकास पत्र (KVP) खरीदा हुआ है और अपने निवेश पर टैक्स दे रहे हैं। कई बार निवेशक किसान विकास पत्र पर कमाए गए ब्याज को अपनी टैक्सेबल इनकम में शामिल करते हैं। KVP पर मिल रहे ब्याज पर TDS नहीं कटता है। यही कारण ही कि इसके कमाए ब्याज को आईटीआर में दिखाना पड़ता है। ये ब्याज 26AS सालाना जानकारी में दिखाई देता है। जब आप किसान विकास पत्र बेचते हैं तो भी टैक्स देना होता है? या इसके ब्याज पर भी टैक्स देना होता है? ये सब जानने के लिए इस खबर को पढ़िये..
यह माना जाता है कि आपको इनकम टैक्स एक्ट 1961 के प्रावधानों के तहत बुक ऑफ अकाउंट को बनाए रखने और उनका ऑडिट कराने की जरूरत नहीं है। अधिनियम की धारा 145 के तहत अन्य सोर्स से होने वाली इनकम पर टैक्स कैलकुलेट किया जाता है। इसमें भी देखा जाता है कि कैश या मर्केंन्टाइल सिस्टम के जरिये ब्याज कमाया गया है। अगर कैश के आधार पर ब्याज नियमित लिया जाता है, तो मैच्योरिटी के समय टैक्स लगाया जा सकता है। अगर मर्केंटाइल आधार पर ब्याज लिया जाता है तो हर साल Accrual आधार पर टैक्स लिया जाएगा।
अगर ब्याज में मिसमैच हो जाए तो साल दर साल कमाए ब्याज और मैच्योरिटी पर मिले ब्याज को चेक कर सकते हैं। इसके लिए आपको डॉक्यूमेंट्स देने होंगे। हर साल फाइल गई टैक्स रिटर्न आपके लिए सही डॉक्यूमेंट साबित होगी। अधिनियम की धारा 194A के प्रावधानों के अनुसार केवीपी की मैच्योरिटी पर ब्याज की इनकम पर कोई टैक्स कटौती करने की आवश्यकता नहीं है। टैक्स सेल्फ असेसमेंट टैक्स या एडवांस टैक्स के तौर पर दिया जाता है तो मैच्योरिटी पर टैक्स नहीं देना होगा।
स्माल सेविंग्स स्कीम में हर तीन महीने यानी तिमाही आधार पर ब्याज दरें तय की की जाती हैं। 30 जून 2022 को सरकार ने किसान विकास पत्र में मिलने वाली ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। मौजूदा समय में इसमें सालाना आधार पर 6.9 फीसदी के दर से ब्याज मिलती है। 1000 रुपये से इस स्कीम में निवेश की शुरुआत की जा सकती है। इसमें अधिकतम निवेश की कोई लिमिट नहीं है। पैसे डबल करने के मकसद से लोग इस स्कीम का खूब फायदा उठा रहे हैं। किसान विकास पत्र में आपकी निवेश राशि 124 महीने यानी 10 साल 4 महीने में डबल हो जाती है।