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क्या इनकम टैक्स बिल 2025 के लागू होने पर LLP को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 18.5% टैक्स चुकाना होगा?

कुछ सोशल मीडिया साइट्स पर यह कहा गया कि इनकम टैक्स बिल 2025 लागू होने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स बढ़कर 18.5 फीसदी हो जाएगा। यह सही नहीं है। इनकम टैक्स बिल 2025 में एलएलपी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) को बढ़ाकर 18.5 फीसदी करने का कोई प्रस्ताव नहीं है

अपडेटेड Jul 29, 2025 पर 1:30 PM
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रिटेल इनवेस्टर्स के लिए एलटीसीजी टैक्स बढ़ाने का कोई प्रस्ताव इनकम टैक्स बिल 2025 में शामिल नहीं है।

सरकार इनकम टैक्स के नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसके लिए फरवरी में सरकार ने लोकसभा में इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया था। फिर इसे विचार के लिए एक ससंदीय समिति के पास भेज दिया गया था। संसदीय समिति ने इस बिल पर अपनी सिफारिशें सौंप दी है। इसमें इस बिल के कुछ प्रस्तावों में बदलाव करने की सलाह सरकार को दी गई है। इसमें एक सिफारिश इनकम टैक्स बिल 2025 के क्लॉज 206 से जुड़ी है।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं

कुछ सोशल मीडिया साइट्स पर यह कहा गया कि इनकम टैक्स बिल 2025 लागू होने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स बढ़कर 18.5 फीसदी हो जाएगा। यह सही नहीं है। अभी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस 12.5 फीसदी है।  रिटेल इनवेस्टर्स के लिए एलटीसीजी टैक्स बढ़ाने का कोई प्रस्ताव इनकम टैक्स बिल 2025 में शामिल नहीं है। इसका मतलब है कि रिटेल इनवेस्टर्स को एलटीसीजी टैक्स बढ़ने की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।


इनकम टैक्स बिल 2025 में सिर्फ AMT का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव

इनकम टैक्स बिल 2025 में अल्टरनेट मिनिम टैक्स (AMT) का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव है। इसके तहत एलएलपी और पार्टनरशिप फर्मों जैसे नॉन-कॉर्पोरेट एनिटिटीज को भी लाने का प्रस्ताव है। एएमटी एलएलपी जैसे नॉन-कॉर्पोरेट एनटिटीज की एडजस्टेड टोटल इनकम पर लागू होता है। अभी के नियम के मुताबिक एएमटी तभी लागू होता है जब कुछ खास तरह के डिडक्शंस क्लेम किए जाते हैं। इनकम टैक्स बिल 2025 में इस शर्त को हटाने का प्रस्ताव है कि यह सिर्फ खास डिडक्शंस क्लेम करने वाले एलएलपी पर लागू होगा।

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एलएलपी का मतलब क्या है

अगर इनकम टैक्स बिल 2025 लागू होता है तो एलएलपी जैसे नॉन-कॉर्पोरेट एनटिटीज जिन्हें मुख्य रूप से एलटीसीजी के जरिए कमाई होती है उन्हें 18.5 फीसदी के रेट से टैक्स चुकाना होगा। इसका मतलब है कि इसका असर सिर्फ एलएलपी पर पड़ेगा। इसका असर इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स पर नहीं पड़ेगा। एलएलपी का मतलब ऐसे बिजनेस स्ट्रक्चर से है, जिसमें पार्टनरशिप और कंपनी दोनों के फायदे शामिल होते हैं। यह बिजनेस के लिए एक तरह का हाइब्रिड स्ट्रक्चर है। एलएलपी के एक पार्टनर पर दूसरे पार्टनर की तरफ से लिए गए कर्ज या मिसकंडक्ट की जिम्मेदारी नहीं होती है।

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