इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 18 जुलाई को आईटीआर-2 ऑनलाइन यूटिलिटी जारी कर दी। अब आईटीआर-2 फॉर्म का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आईटीआर-2 और आईटीआर-3 की ऑफलाइन एक्सेल यूटिलिटीज पहले ही जारी कर दी थी। लेकिन, प्री-फिल्ड डेटा के साथ ऑनलाइन यूटिलिटीज रिलीज नहीं की थी। आईटीआर-3 की ऑनलाइन यूटिलिटीज अभी इश्यू नहीं की गई है।
किस टैक्सपेयर के लिए हैं आईटीआर-2 फॉर्म ?
पहले यह समझ लेना जरूरी है कि ITR-2 फॉर्म का इस्तेमाल कौन कर सकता है। यह फॉर्म ऐसे सैलरीड टैक्सपेयर्स और पेंशनर्स के लिए है, जो ITR-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
1. सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा इनकम वाले टैक्सपेयर्स आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते। ऐसे टैक्सपेयर्स को आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा।
2. किसी टैक्सपेयर का सेक्शन 112ए के तहत कैपिटल गेंस 1.25 लाख से ज्यादा है तो वह आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं करेगा। वह आईटीआर-2 का इस्तेमाल करेगा।
3. टैक्सपेयर किसी कंपनी में डायरेक्टर है तो वह आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकता। उसे आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा।
4. टैक्सपेयर ने अगर किसी ऐसी कंपनी के शेयरों में निवेश किया है जो स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड नहीं है तो उसे आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा।
5. टैक्सपेयर को विदेश से इनकम हुई है तो उसे आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा।
6. विदेश में बैंक अकाउंट है या एसेट है तो टैक्सपेयर को आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा।
रिटर्न फाइल करने के लिए नहीं करें 15 सितंबर का इंतजार
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए 15 सितंबर का इंतजार नहीं करना चाहिए। अंतिम समय में रिटर्न फाइल करने में गलती होने की आशंका रहती है। ऐसा होने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस आ सकता है। आम तौर पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई होती है। इस साल सरकार ने इसे बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है।
फॉर्म 16, फॉर्म 26एएस और AIS की जानकारियां वेरिफाय कर लें
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले फॉर्म 26एएस और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में शामिल जानकारियों को वेरिफाय कर लेना जरूरी है। इसके अलावा फॉर्म 16 के डेटा को भी मैच करा लेना जरूरी है। फॉर्म 26एएस में टीडीएस, प्रॉपर्टी पर्चेज, हाई वैल्यू फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स आदि की जानकारी होती है। फॉर्म 26एएस के मुकाबले AIS में ज्यादा जानकारी होती है। इसमें सेविंग्स अकाउंट से इंटरेस्ट इनकम, डिविडेंड, रेंट इनकम, सिक्योरिटी की खरीद और बिक्री, विदेश से इनकम आदि की जानकारी होती है।