स्टॉक मार्केट को लेकर इंडियन इनवेस्टर्स की दीवानगी चरम पर है। इससे पहले कभी लोगों ने शेयरों में इतना निवेश नहीं किया था। लोगों की कुल सेविंग्स में शेयरों की हिस्सेदारी बढ़कर 4.8 फीसदी पर पहुंच गई है। पहली बार सेविंग्स में शेयरों की हिस्सेदारी इस लेवल पर पहुंची है। पिछले साल मार्च में यह 4.3 फीसदी थी। ब्रोकरेज फर्म जेफरीज की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
इससे पहले 2008 में शेयरों में बढ़ा था रिटेल इनवेस्टमेंट
इससे पहले कुल सेविंग्स में शेयरों की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 2008 में दखने को मिली थी। तब यह 4.2 फीसदी थी। हालांकि, अब भी सेविंग्स में परंपरागत एसेट्स की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। कुल हाउसहोल्ड सेविंग्स में रियल एस्टेट की सबसे ज्यादा 49 फीसदी हिस्सेदारी है। गोल्ड दूसरे नंबर पर है। इसकी हिस्सेदारी 15 फीसदी है।
परिवारों के नेटवर्थ में शेयरों की हिस्सेदारी बढ़ी है
जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक, फाइनेंशियल सेविंग्स में बैंक डिपॉजिट की हिस्सेदारी 15.1 फीसदी है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले 8 साल में टोटल सेविंग्स में फाइनेंशियल एसेट्स की हिस्सेदारी 8 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ी है। एनालिस्ट्स ने रिपोर्ट्स में कहा है कि हाउसहोल्ड एसेट होल्डिंग्स के एनालिसिस से पता चलता है कि परिवारों के नेटवर्थ में शेयरों की हिस्सेदारी बढ़ी है। रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद यह 5 फीसदी से कम है।
म्यूचुअल फंड है स्टॉक्स में निवेश का मुख्य जरिया
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, इंडियन लोगों की कमाई ज्यादा नहीं है, लेकिन उनमें ज्यादा सेविंग्स की परंपरा रही है। जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन कई माध्यम से शेयरों में इनवेस्ट करते हैं। इनमें सबसे मुख्य रास्ता म्यूचुअल फंड्स है।
घरेलू खरीदारी ने बाजार को गिरने नहीं दिया
2004 से शेयरों में घरेलू निवेश बढ़ रहा है। आने वाले समय में शेयरों में निवेश में अच्छी ग्रोथ रह सकती है। इसकी वजह यह है कि इंडिया में परिवार सालाना 700 अरब डॉलर की सेविंग्स करते हैं। अभी इसका 5 फीसदी से कम हिस्सा शेयरों में जा रहा है। घरेलू इनवेस्टर्स ने बाजार को गिरने से काफी हद तक संभाला है।
पिछले 12 महीने में निफ्टी 11 फीसदी चढ़ा है। स्टॉक मार्केट में फॉरेन फंड्स की 28 अरब डॉलर की बिकवाली के बावजूद निफ्टी में यह मजबूती आई है। इसकी सबसे बड़ी वजह डोमेस्टिक इनवेस्टर्स की खरीदारी है। उन्होंने फॉरेन इनवेस्टर्स की ज्यादा बिकवाली का असर मार्केट पर नहीं पड़ने दिया है।