कर्नाटक बैंक में करीब दो साल पहले हुआ एक 'फैट फिंगर एरर' का मामला काफी चर्चा में है। एक तरफ जहां कर्नाटक बैंक इस मामले के बाद अपने रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम को मजबूत बनाने की कोशिश कर रहा है, वही दूसरी तरफ आरबीआई ने बैंक से इस मामले में सवाल पूछे हैं। दरअसल, यह मामला इस साल सालाना सुपरविजन के दौरान रेगुलेटर की निगाह में आया है।
करीब तीन घंटे में ट्रांजेक्शन रिवर्स हो गया
यह पूरा मामला 1,00,000 करोड़ रुपये के एक सिंगल ट्रांजेक्शन से जुड़ा है। 9 अगस्त, 2023 को शाम 5:17 बजे एक डॉरमेंट अकाउंट में गलती से 1,00,000 करोड़ रुपये क्रेडिट हो गए। हालांकि, कुछ ही देर बाद गलती का पता चल गया। फिर उसी दिन करीब तीन घंटे बाद रात 8:09 बजे यह ट्रांजेक्शन रिवर्स हो गया। यह बड़ा अमाउंट एक ऐसे अकाउंट में क्रेडिट हुआ, जो एक्टिव नहीं था। इस वजह से इस गलती से बैंक को बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
ट्रांजेक्शन में फैट फिंगर एरर का मतलब
ट्रांजेक्शन में कंप्यूटर की गलत की (Key) दब जाने से डेबिट या क्रेडिट होने वाले अमाउंट की वैल्यू बदल जाती है। इसे 'फैट फिंगर एरर' कहा जाता है। कई बार इस वजह से बैंक या किसी इंडिविजुअल को बड़ा नुकसान हो जाता है। कर्नाटक बैंक के मामले में बड़ा नुकसान इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि जिस अकाउंट में यह पैसा क्रेडिट हुआ, वह इनएक्टिव था। अगर वह अकाउंट एक्टिव होता तो कर्नाटक बैंक को बड़ा नुकसान हो सकता था, क्योंकि 1,00,000 करोड़ रुपये कोई छोटा अमाउंट नहीं है।
बैंक के बोर्ड के सामने आया यह मामला
करीब छह महीने बाद 4 मार्च, 2024 को यह मामला कर्नाटक बैंक के बोर्ड की मैनेजटमेंट कमेटी के सामने आया। बैंक की रिस्क मैनेजमेंट कमेटी को इस बारे में एक डिटेल रिपोर्ट तैयार करने और उसे बोर्ड की अगली बैठक में पेश करने को कहा गया। बैंक के आईटी डिपार्टमेंट ने इस मामले में एक पावरप्वाइंट प्रजेंटेशन तैयार किया। यह मामला दोबारा 23 अक्तूबर, 2024 को बोर्ड की मीटिंग में आया। इसका मतलब है कि मार्च 2024 से अक्तूबर 2024 के बीच इस मामले का समाधान नहीं हो पाया।
आरबीआई ने बैंक से पूछे हैं कई सवाल
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि चूंकि इस मामले का समाधान FY25 में नहीं हो पाया, जिससे इस पर आरबीआई के जारी इंस्पेक्शन में गौर किया जा रहा है। सूत्र ने कहा कि रेगुलेटर ने इनटर्नल कंट्रोल पर बैंक के प्रभावी नियंत्रण को लेकर सवाल उठाए हैं। बैंक के सिस्टम और रिस्क मैनेजमेंट प्रैक्टिसेज के बारे में भी सवाल पूछे गए हैं। बैंक के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "अगर यह नॉन-ऑपरेटिव अकाउंट नहीं होता तो बैंक को बड़ा नुकसान हो सकता था।"
कर्नाटक बैंक ने इस मसले में दिया जवाब
इस मसले के बारे पूछने पर कर्नाटक बैंक के प्रवक्ता ने कहा, "हम यह बताना चाहते हैं कि यह एक पुराना ऑपरेशन मामला है। इसकी पहचान कर इसका समाधान किया जा चुका है। इस इश्यू पर व्यापक रूप से गौर किया गया। इस मामले में अब कोई एक्शन पेंडिंग नहीं है।" इस मामले में आरबीआई को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। हालांकि, यह मामला अब खत्म होता दिख रहा है। कर्नाटक बैंक को इस गलती से किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ।