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रेपो रेट घटने के बाद भी होम लोन की EMI में नहीं मिली राहत, कहां करें शिकायत

रेपो रेट घटने पर भी लोन की EMI न घटने या बदलाव में देरी होने का मुख्य कारण है ग्राहक के लोन की इंटरेस्ट रेट का टाइप। सबसे पहले पता करें कि आपका लोन किस तरह का है- फिक्स्ड रेट, MCLR-लिंक्ड, या रेपो रेट-लिंक्ड

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Dec 11, 2025 पर 11:22 AM
रेपो रेट घटने के बाद भी होम लोन की EMI में नहीं मिली राहत, कहां करें शिकायत
रेपो रेट घटने पर कई लोन बॉरोअर EMI में तुरंत राहत की उम्मीद करते हैं, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति की दिसंबर की मीटिंग में रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की। इसके बाद साल 2025 में अब तक रेपो रेट 1.25 प्रतिशत घट चुकी है। कई बैंक रेपो रेट में कटौती के तुरंत बाद इसका फायदा ग्राहकों को दे देते हैं। इससे होम लोन, ऑटो लोन जैसे लोन्स की EMI कम हो जाती है। रेपो रेट घटने पर कई लोन बॉरोअर EMI में तुरंत राहत की उम्मीद करते हैं, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है।

कई मामलों में राहत पहुंचने में देरी होती है। वहीं कुछ मामलों में EMI में कोई बदलाव नहीं होता है। अगर EMI में राहत न मिले तो इसके क्या कारण हैं? अगर बैंक जानबूझकर राहत न दे तो शिकायत कैसे की जाए? आइए जानते हैं...

EMI में बदलाव न होने के कारण

रेपो रेट घटने पर भी लोन की EMI न घटने या बदलाव में देरी होने का मुख्य कारण है आपके लोन की इंटरेस्ट रेट का टाइप। अगर ग्राहक का लोन एक फिक्स्ड-रेट लोन है, तो रेपो रेट घटने या बढ़ने के बावजूद EMI में कोई बदलाव नहीं होगा। फिक्स्ड-रेट लोन में लोन लिए जाने से लेकर उसके चुकाए जाने तक वही ब्याज दर बरकरार रहती है जो पहले से तय होती है।

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