हाल में बेंगलुरु के रहने वाले नंदा कुमार के सुसाइड की खबर छपी। इसमें कहा गया कि उन्होंने 40 इंस्टैंट लोन मोबाइल ऐप्स से लोन लिए थे। लोन नहीं चुकाने की वजह से रिकवरी एजेंट्स उनके पीछे पड़े हुए थे। बहुत ज्यादा परेशान किए जाने के बाद कुमार ने अपनी जिंदगी खत्म करने जैसा बड़ा कदम उठा लिया।
ऐसा कदम उठाने वाले कुमार ऐसा अकेला व्यक्ति नहीं हैं। ऐसे कई मामलों में ग्राहक को बहुत ज्यादा परेशान किए जाने की खबरें आती रही हैं। कई बार तो ग्राहकों की निजी फोटो में भी बदलाव कर उसे आपत्तिजनक स्थिति में सार्वजनिक कर दिया जाता है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद सुसाइड के मामलें बढ़े हैं। इनमें से करीब 25,000 लोग ऐसे थे, जो नौकरी चली जाने के बाद कर्ज लेने को मजबूर हुए थे। हर बार ऐसे मामलों की वजह एक जैसी होती है।
लोन मोबाइल ऐप्स छोटे अमाउंट के लोन देते हैं। कई बार ग्राहक अलग-अलग एप से कई लोन ले लेता है। नौकरी जाने की स्थिति में वह EMI नहीं चुका पाता है। इसके बाद लोन ऐप्स के रिकवरी एजेंट्स न सिर्फ ग्राहक के पीछे पड़ जाते हैं बल्कि वे उनके परिवार को भी नहीं छोड़ते।
RBI ने हाल में डिजिटल लेंडिंग के बारे में एक वर्किंग ग्रुप की सिफारिशें सार्वजनिक की है। इसमें ग्राहक के हितों का ख्याल रखा गया है। RBI मोबाइल लोन ऐप के काम करने के तरीकों पर नजर रख रहा है।
PayU Finance के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) मयूरेश किनी ने कहा, "हम कंज्यूमर्स के बैकग्राउंड को समझने के लिए एनालिटिक्स का इस्तेमाल करते हैं। स्पेंडिंग लिमिट तय करने के लिए उनके पर्चेज बिहेवियर को देखा जाता है। यह देखा जाता है कि उन्होंने बहुत ज्यादा कर्ज तो नहीं लिया है। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि लोन कंज्यूमर के चुकाने की कैपसिटी के अंदर होनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि RBI की नई गाइडलाइंस आ जाने के बाद रेगुलेटेड या अनरेगुलेटेड लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर्स (LSP) इसके तहत आ गए हैं।
ज्यादा ऑर्गेनाइज्ड फिनटेक लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स लोन अप्लिकेशंस को एप्रूव करने में ज्यादा सावधानी बरतते हैं। लेकिन कई ऐसे लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स हैं जो ऐसा नहीं करते। कई लोन लेना और पैसे का सही इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है और यह ग्राहक के कंट्रोल में है। ग्राहक को खुद इस बात का ध्यान रखना होगा कि कही वह लोन ट्रैप में तो नहीं फंस रहा है।
किसी भी व्यक्ति के लिए लोन के पैसे से घर चलाना मुमकिन नहीं है। एक के बाद दूसरा लोन लेने के बाद ऐसी स्थिति आती है जब व्यक्ति ऐसा लगेगा कि वह लोन का पैसा नहीं चुका पाएगा। सबसे पहले आपको इसमें यह फर्क करना होगा कि आप कोई एसेट खरीदने के लिए लोन ले रहे हैं या सामान्य खर्च के लिए।
सृजन फाइनेंशियल सर्विसेज एलएलपी की फाउंडर दीपाली सेन के मुताबिक, अगर आप रहने के लिए घर खरीदने के लिए लोन लेते हैं तो वह ठीक है। लेकिन छुट्टियां बिताने, जल्द रिटायर होने या कोई बिजनेस शुरू करने के लिए लिया गया लोन आपके गले का फंदा बन सकता है।
लोन ट्रैप में फंसने से बचने के लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना होगा:
-आपका होन लोन खरीदे जाने वाले घर की वैल्यू के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
-होम लोन की EMI आपकी मंथली इनकम के 40 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
-अगर आप कार लोन ले रहे हैं तो उसकी EMI मंथली इनकम के 5 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
-अगर आपको अच्छी सैलरी वाली नौकरी नहीं मिली तो एजुकेशन लोन आपके लिए बड़ा बोझ बन जाएगा। इसलिए इसे अंतिम विकल्प रखना ठीक रहेगा।
-आपको लोन मोबाइल एप से दूर रहना चाहिए। ये छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी लोन लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
-अगर आप जीरो इंटरेस्ट लोन लेना चाहते हैं तो भी आपको यह देखना होगा कि इसे चुकाने पर हर महीने आपकी सैलरी के 10 फीसदी से ज्यादा खर्च नहीं होना चाहिए।