बता दें कि केंद्र सरकार की मुफ्त राशन योजना में कार्डधारक को पारिवारिक सदस्यों की संख्या के अनुसार बेहद कम दर पर गेहूं और चावल दिया जाता है। इस योजना के पीछे सरकार का उद्देश्य योजना के माध्यम से जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करना था, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी थे जिनकी आय लाखों रुपये थी फिर भी उनकी आवश्यकताएं पूरी नहीं हो रही थीं। ये लोग अपनी भारी कमाई पर आयकर तो भरते थे, लेकिन मुफ्त का राशन लेने से भी नहीं चूकते थे। आयकर विभाग ने आयकरदाताओं की सूची आपूर्ति विभाग को भेजी, जिसे आपूर्ति विभाग ने राशन कार्डधारकों की सूची से मिलाकर जांचा। इस मिलान के परिणामस्वरूप 11,849 लोग सामने आए, जो इस योजना का लाभ लेने के हकदार नहीं थे।