Mutual fund SIP: जब आप म्यूचुअल फंड में SIP करने की सोचते हैं, तो कई फैसले लेने पड़ते हैं। कितना पैसा लगाना है, कौन-सा फंड हाउस चुनना है, और कौन-सी कैटेगरी में निवेश करना है। जैसे कि लार्ज कैप, मिड कैप या स्मॉल कैप।

Mutual fund SIP: जब आप म्यूचुअल फंड में SIP करने की सोचते हैं, तो कई फैसले लेने पड़ते हैं। कितना पैसा लगाना है, कौन-सा फंड हाउस चुनना है, और कौन-सी कैटेगरी में निवेश करना है। जैसे कि लार्ज कैप, मिड कैप या स्मॉल कैप।
इसी दौरान कई लोग किसी खास सेक्टर या किसी खास आइडिया में निवेश करने के लिए सेक्टोरल और थीमैटिक फंड चुनते हैं। आइए इनके बारे में डिटेल में जानते हैं।
सेक्टोरल और थीमेटिक फंड क्या होते हैं?
सेक्टोरल फंड: ये फंड सिर्फ एक ही सेक्टर की कंपनियों में निवेश करते हैं। जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी, बैंकिंग या फार्मा। क्योंकि सारा पैसा एक ही सेक्टर में लगा होता है, इसलिए इन फंड में रिस्क ज्यादा होता है और डाइवर्सिफिकेशन कम होता है।
थीमैटिक फंड: ये फंड किसी एक थीम पर आधारित होते हैं। जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्विस इंडस्ट्री, PSU या MNCs। थीमैटिक फंड सेक्टोरल के मुकाबले थोड़ा ज्यादा फैले हुए होते हैं। इसलिए इनका रिस्क थोड़ा कम माना जाता है।
इनमें निवेश करने के क्या फायदे हैं?
1. ज्यादा ग्रोथ की संभावना: ज्यादातर सेक्टोरल फंड एक्टिवली मैनेज किए जाते हैं। फंड मैनेजर खुद तय करता है कि कौन-सा स्टॉक लेना है और कौन-सा नहीं। इससे हाई रिस्क लेने वाले निवेशकों को ज्यादा रिटर्न मिलने का मौका मिल सकता है।
2. ट्रेंड का फायदा उठाना: कई बार लोग किसी चल रहे ट्रेंड का फायदा उठाना चाहते हैं। जैसे अगर देश में इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी जोर है, तो निवेशक इस सेक्टर की बढ़ोतरी का हिस्सा बनना चाहते हैं।
3. पसंद के सेक्टर में निवेश: कई लोग किसी खास थीम से जुड़ाव रखते हैं। जैसे जो व्यक्ति सस्टेनेबिलिटी या ग्रीन एनर्जी में दिलचस्पी रखता है, वह ऐसे ही थीम वाले फंड में निवेश करना पसंद करेगा।
4. पोर्टफोलियो में विविधता: ज्यादातर कैटेगरी वाले फंड (जैसे Nifty 100) लगभग समान रिटर्न देते हैं। लेकिन सेक्टोरल/थीमैटिक फंड आपके पोर्टफोलियो में एक अलग तरह की डाइवर्सिटी जोड़ते हैं।
इनका प्रदर्शन फंड मैनेजर की स्टॉक-पिकिंग, सरकारी नीतियों और आर्थिक हालात के अनुसार काफी बदल सकता है। इसलिए ये ऊपर भी तेजी से जा सकते हैं और गिर भी सकते हैं।
5. विकल्प ज्यादा मिलते हैं: AMCs एक कैटेगरी में सिर्फ एक स्कीम चला सकती हैं, लेकिन सेक्टोरल/थीमैटिक फंड में अनेकों नए कॉम्बिनेशन बनाए जा सकते हैं। इसी वजह से इस कैटेगरी में काफी इनोवेशन देखने को मिलता है।
अक्टूबर 2025 के AMFI डेटा के मुताबिक, इस कैटेगरी में 231 फंड स्कीम हैं और इनका कुल AUM ₹5.33 लाख करोड़ है।
इनमें निवेश करने के नुकसान क्या हैं?
1. रिस्क ज्यादा होता है: सेक्टोरल और थीमैटिक फंड पूरा पैसा एक ही सेक्टर या थीम में लगा होता है, इसलिए अगर उस सेक्टर में कोई दिक्कत आती है, तो पोर्टफोलियो सीधे प्रभावित होता है और गिरावट ज्यादा होती है।
2. विकल्प सीमित होते हैं: कुछ सेक्टरों में 4-5 बड़ी कंपनियां ही होती हैं। इसका मतलब यह हुआ कि भले आप सोचें कि आप सेक्टर में निवेश कर रहे हैं, लेकिन असल में आपका पैसा सिर्फ कुछ ही स्टॉक्स में लगा होता है।
कुछ सेक्टर जैसे IT वाले फंड सीधे Nifty IT इंडेक्स को ही फॉलो करते हैं, इसलिए स्टॉक सिलेक्शन की गुंजाइश भी कम होती है।
3. ओवरलैप की समस्या: अगर आपके पास पहले से लार्ज कैप फंड में निवेश है, तो आपने HDFC Bank, ICICI Bank जैसे बड़े स्टॉक्स में पहले ही एक्सपोजर ले रखा है।
ऐसे में बैंकिंग सेक्टोरल फंड खरीदने पर उन्हीं कंपनियों में आपका एक्सपोजर और बढ़ जाएगा। इससे आपके फंड आपस में ओवरलैप करने लगते हैं और रिस्क बढ़ जाता है।
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