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No-cost EMI: क्या नो-कॉस्ट EMI से महंगी पड़ जाती है खरीदारी? समझिए पूरा कैलकुलेशन

No-cost EMI: नो-कॉस्ट EMI को अक्सर फ्री बताया जाता है, लेकिन इसमें छुपे चार्ज और प्रोसेसिंग फीस से प्रोडक्ट महंगा पड़ सकता है। यह सुविधा कब फायदेमंद है और कब नुकसानदायक, यहां जानिए पूरा कैलकुलेशन और सच्चाई।

Edited By: Suneel Kumarअपडेटेड Sep 18, 2025 पर 2:59 PM
No-cost EMI: क्या नो-कॉस्ट EMI से महंगी पड़ जाती है खरीदारी? समझिए पूरा कैलकुलेशन
जब आप EMI पर कुछ खरीदते हैं, तो पूरे प्रोडक्ट की कीमत आपके क्रेडिट लिमिट से ब्लॉक हो जाती है।

No-cost EMI: फेस्टिव सीजन के खरीदार बेसब्री से Amazon के Great Indian Festival और Flipkart के Big Billion Days सेल का इंतजार कर रहे हैं। इसकी शुरुआत 23 सितंबर से शुरू होंगी। यह तारीख नई GST दरों के लागू होने के एक दिन बाद है। संशोधित दरों के साथ, इलेक्ट्रॉनिक्स और रोजमर्रा के इस्तेमाल की कई चीजें सस्ती होने की उम्मीद है।

इन सेल्स में नो-कॉस्ट EMI अहम भूमिका निभाने वाली है, क्योंकि कंपनियां ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्ट बेचने के लिए लचीले पेमेंट ऑप्शन देने पर जोर देंगी। नो-कॉस्ट EMI एक ऐसा पेमेंट प्लान है, जिसमें दावा किया जाता है कि आप किसी प्रोडक्ट की कीमत किस्तों में बिना किसी अतिरिक्त शुल्क या ब्याज के चुका सकते हैं। लेकिन क्या यह सच में सही है? आइए जानते हैं।

No-Cost EMI असल में कैसे काम करती है?

TaxManager.in के फाउंडर और सीईओ दीपक कुमार जैन के मुताबिक, नो-कॉस्ट EMI का मतलब यह है कि जब आप कोई प्रोडक्ट किस्तों (EMI) में खरीदते हैं, तो आपसे सीधे तौर पर अतिरिक्त ब्याज नहीं लिया जाता। लेकिन हकीकत में यह EMI पूरी तरह मुफ्त नहीं होती। दरअसल, ब्याज या दूसरे चार्ज अलग तरीके से कीमत में एडजस्ट कर दिए जाते हैं।

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