JAL insolvency resolution: दिवालिया कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) को खरीदने की रेस में अदाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज सबसे आगे निकलती दिखाई दे रही है।

JAL insolvency resolution: दिवालिया कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) को खरीदने की रेस में अदाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज सबसे आगे निकलती दिखाई दे रही है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सौदे के तहत अदाणी ने दो साल में भुगतान करने का प्रस्ताव रखा है। वहीं, यह अनिल अग्रवाल की Vedanta के प्रस्ताव से बेहतर है, जिसने पांच साल में भुगतान करने की बात कही थी। यही वजह है कि अदाणी ग्रुप को शीर्ष दावेदार के रूप में देखा जा रहा है।
पहली नीलामी में Vedanta ने ली थी बढ़त
सितंबर की शुरुआत में हुई पहली नीलामी में Vedanta Group ने Adani को पीछे छोड़ते हुए 12,505 करोड़ रुपये (NPV) की बोली लगाई थी। यह नीलामी JAL के खरीदार तलाशने के लिए आयोजित की गई थी। JAL का कारोबार रियल एस्टेट, सीमेंट, पावर, होटल और रोड सेक्टर तक फैला है।
इस नीलामी में Dalmia Cement (Bharat), Jindal Power और PNC Infratech ने हिस्सा नहीं लिया था। ये लोग JAL को खरीदने की रेस में शामिल थे।
लोन वसूली बढ़ाने के लिए नई बोली
पहली प्रक्रिया के बाद लेंडर्स ने सभी पांच इच्छुक कंपनियों के साथ बैठक की और बोली बढ़ाने के लिए कहा। 14 अक्टूबर को सभी पांच कंपनियों ने अपनी रिवाइज्ड समाधान योजनाएं सीलबंद लिफाफों में जमा कर दीं।
CoC ने सभी योजनाओं की तुलना की
पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि JAL की क्रेडिटर कमेटी (CoC) ने पिछले हफ्ते सभी योजनाओं की व्यावहारिकता के आधार पर समीक्षा की। वैल्यूएशन मैट्रिक्स के आधार पर Adani Enterprises की योजना को सबसे ज्यादा स्कोर मिला। दूसरे नंबर पर Dalmia Cement (Bharat) और तीसरे स्थान पर Vedanta रहा। CoC इस योजना को अगले दो हफ्तों में वोटिंग के लिए रख सकती है।
क्यों Dalmia का प्रस्ताव जोखिम भरा हुआ?
जानकारी के मुताबिक, Dalmia Cement का भुगतान प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर निर्भर है जो JAL और YEIDA के बीच के लंबित विवाद पर आएगा। यानी भुगतान की टाइमलाइन स्पष्ट नहीं है। यही वजह है कि उसके प्रस्ताव को कम वजन मिला।
Adani vs Vedanta: कौन है आगे
Adani Group ने पूरा भुगतान दो साल में करने की पेशकश की है। वहीं, Vedanta ने बैक-एंड भुगतान का ऑफर दिया है, जो अगले पांच साल में पूरा होगा। यह बड़ा अंतर लेंडर्स यानी बैंकों के निर्णय में अहम भूमिका निभा रहा है।
पुराने प्रमोटरों ने भी दिया समझौते का प्रस्ताव
पिछले महीने JAL के पूर्व प्रमोटरों ने भी 12A के तहत समझौते का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने फंडिंग का कोई स्पष्ट स्रोत नहीं बताया। सूत्रों के मुताबिक, ऐसे प्रस्ताव अक्सर प्रक्रिया में देरी करने के लिए लाए जाते हैं।
इससे पहले भी प्रमोटरों ने प्रक्रिया को चुनौती देने और रोक लगाने की कोशिश की थी, लेकिन अदालत ने राहत नहीं दी। सभी प्रस्तावों और हितधारकों के हित को देखते हुए अब संभावना लगाई जा रही है कि CoC, JAL के रिवाइल के लिए Adani Enterprises के पक्ष में वोट कर सकता है।
JAL कैसे दिवाला में पहुंची?
JAL का कारोबार रियल एस्टेट, सीमेंट, हॉस्पिटैलिटी, इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन तक फैली हैं। NCLT, इलाहाबाद बेंच के 3 जून 2024 के आदेश के बाद इसे दिवाला प्रक्रिया (CIRP) में भेजा गया। कंपनी कर्ज भुगतान में चूक गई थी, जिसके बाद दिवाला प्रक्रिया शुरू हुई।
करीब 60,000 करोड़ रुपये के वित्तीय दावों को रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने स्वीकार किया है। JAL के कई प्रोजेक्ट में एक हजार से ज्यादा होमबायर्स फंसे हुए हैं। नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) अब सबसे बड़ा कर्जदाता है। इसने SBI के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम से बड़ी मात्रा में कर्ज खरीदा है।
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