कई बार सैलरी स्ट्रक्चर टैक्स-फ्रेंडली नहीं नहीं होने से एंप्लॉयी को ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है। सैलरी के कई ऐसे हिस्से हैं, जिन्हें टैक्स से छूट हासिल है। सैलरी स्ट्रक्चर में इनके शामिल नहीं होने पर एंप्लॉयी पर टैक्स लायबिलिटी बढ़ जाती है। दूसरा, टैक्स बचाने में एनपीएस काफी हेल्पफुल है। अगर आप एनपीएस में कंट्रिब्यूट नहीं करते हैं तो इसमें कंट्रिब्यूशन शुरू कर सकते हैं। इससे आपकी टैक्स लायबिलिटी काफी घट जाएगी। साथ ही, लंबी अवधि में आपके लिए अच्छा फंड तैयार हो जाएगा। एनपीएस में रिटायरमेंट के बाद आपको पेंशन भी मिलेगी।
