Republic Day 2022: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर 'सूर्य नमस्कार' (Surya Namaskar) का अभ्यास करने का आग्रह किया है। भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर जश्न मनाने के लिए यूजीसी ने देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों को इस सामूहिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कहा है, जो केंद्र सरकार के 'आजादी का अमृत महोत्सव' (Azadi ka Amrit Mahotsav) का एक हिस्सा है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस कार्यक्रम की योजना राष्ट्रीय योगासन स्पोर्ट फेडरेशन (NYSF) द्वारा बनाई गई थी, जो देश भर के लगभग 30,000 उच्च शिक्षा संस्थानों में चलेगा और इसमें 300,000 से अधिक छात्र शामिल होंगे। यह कार्यक्रम 7 फरवरी तक चलेगा। इस आयोजन के माध्यम से यूजीसी देश भर के 30,000 संस्थानों में 75 करोड़ सूर्य नमस्कार सुनिश्चित करने की उम्मीद कर रहा है।
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एक्सप्रेस के मुताबिक, अमृत महोत्सव मनाने के लिए महासंघ ने 30 राज्यों में 750 मिलियन सूर्य नमस्कार की एक परियोजना चलाने का फैसला किया है, जिसमें 1 जनवरी से 7 फरवरी तक 30000 संस्थान और 3 लाख छात्र शामिल थे। अब ये 26 जनवरी को तिरंगे के सामने संगीतमय सूर्य नमस्कार करेंगे। आयोग ने एक अधिसूचना में कहा गया है कि सभी उच्च शिक्षा संस्थानों और संबद्ध कॉलेजों से इस आयोजन में भाग लेने का अनुरोध किया जाता है।
बता दें कि इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने 16 दिसंबर, 2021 के अपने एक पत्र के माध्यम से कहा था कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के बैनर तले ‘राष्ट्रीय योगासन खेल परिसंघ’ ने फैसला किया है कि एक जनवरी से 7 फरवरी, 2022 तक 75 करोड़ सूर्य नमस्कार की परियोजना चलाई जाएगी। इसमें यह भी कहा गया था कि 26 जनवरी, 2022 को सूर्य नमस्कार पर संगीत कार्यक्रम की योजना भी है।
हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि सूर्य नमस्कार के कार्यक्रमों में मुस्लिम समुदाय के बच्चों को शामिल नहीं होना चाहिए, क्योंकि सूर्य की उपासना करना इस्लाम धर्म के मुताबिक सही नहीं है। पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने यह भी कहा कि सरकार को इससे जुड़ा दिशानिर्देश वापस लेकर देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करना चाहिए।
मौलाना रहमानी ने एक बयान में कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है। इन्हीं सिद्धान्तों के आधार पर हमारा संविधान बनाया गया है। संविधान हमें इसकी अनुमति नहीं देता है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म विशेष की शिक्षाएं दी जाएं या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित किये जाएं। उन्होंने दावा किया कि यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान सरकार इस सिद्धांत से भटक रही है और देश के सभी वर्गों पर बहुसंख्यक समुदाय की सोच और परंपरा को थोपने का प्रयास कर रही है।