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दादी और मां से मिले सोने के गहने बेच रहे हैं आप? अब नए नियमों के तहत देना होगा इतना टैक्स

New Tax Rules: नए नियमों के तहत सोने को लॉन्ग-टर्म कैपिटल एसेट के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए होल्डिंग पीरियड को 36 महीने से घटाकर 24 महीने कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अगर आप सोने को 24 महीने से अधिक समय तक रखते हैं, तो उस पर LTCG लगेगा

Edited By: Abhishek Guptaअपडेटेड Aug 06, 2025 पर 4:56 PM
दादी और मां से मिले सोने के गहने बेच रहे हैं आप? अब नए नियमों के तहत देना होगा इतना टैक्स
23 जुलाई 2024 से नए नियम लागू हो गए हैं, जो सोने पर लगने वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स को प्रभावित करते हैं

Gold Jewellery: लोगों के घरों में गोल्ड की ज्वैलरी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ट्रांसफर होती है। रिटायर व्यक्तियों के लिए विरासत में मिले सोने के आभूषण बेचने पर लागू होने वाले नए टैक्स नियमों को समझना थोड़ा जटिल हो सकता है, हालांकि यह बहुत जरूरी है। आयकर अधिनियम, 1961 के तहत भले ही सोना विरासत में मिला हो, उसे पूंजीगत संपत्ति माना जाता है। और इसे बेचने से होने वाले किसी भी लाभ पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। आइए हम आपको इन नियमों को आसान भाषा में समझाते हैं।

विरासत में मिले सोने पर लगेगा कैपिटल गेन टैक्स

जब आप विरासत में मिले सोने के आभूषण बेचते हैं, तो उस पर होने वाले मुनाफे को पूंजीगत लाभ माना जाता है। इस लाभ पर टैक्स लगता है। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि सोने की खरीद की तारीख और लागत उस मूल मालिक की मानी जाती है, जिससे आपको यह विरासत में मिला है। उदाहरण के लिए, अगर आपको 1981 में अपनी मां से गहने मिले और उन्हें यह उनके माता-पिता से विरासत में मिले थे, तो आप या तो मूल मालिक की वास्तविक लागत या 1 अप्रैल 2001 तक का उचित बाजार मूल्य (FMV), जो भी अधिक हो, उसे अपनी खरीद लागत मान सकते हैं। 2001 और 2005 में मिले गहनों के लिए भी लागत आपकी मां या दादी (यदि वह मूल मालिक थीं) से ही मानी जाएगी।

अगर आपके पास खरीद के कोई दस्तावेज नहीं हैं, तो आप ऐतिहासिक सोने की कीमतों और एक मूल्यांकक के प्रमाण पत्र या जौहरी संघ के डेटा पर भरोसा कर सकते हैं।

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