Sensex 70,000 प्वाइंट्स के पार निकल गया है। Nifty 50 ने भी 21,000 के लेवल को पार किया है। ऐसे में इनवेस्टर्स के मन में कई सवाल चल रहे हैं। क्या उन्हें मुनाफावसूली कर लेनी चाहिए? क्या अभी मार्केट में पैसा लगाए रखने में फायदा है? ऐसे कई सवाल निवेशकों के मन में चल रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन सवालों का जवाब जानने के लिए आपको पहले खुद से कुछ सवाल करने होंगे। लेकिन, अगर आप सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए मार्केट में इनवेस्ट कर रहे हैं तो आपको अपने SIP में किसी तरह का बदलाव नहीं करना है। लेकिन, अगर आपने सीधे शेयरों में पैसे लगाए हैं तो आपको क्या करना चाहिए? इस सवाल का जवाब जानने से पहले आइए स्टॉक मार्केट के कुछ अहम डेटा को देख लें।
मार्केट ने पहले भी बनाए हैं हाई
इस साल Sensex ने 14 फीसदी रिटर्न दिया है। यह 11 दिसंबर को 70,000 के पार चला गया। गोल्ड ने भी इस साल 13.71 फीसदी रिटर्न दिया है। ज्यादातर स्टॉक्स की कीमतें ऑल-टाइम हाई के करीब हैं या 52 हफ्ते की ऊंचाई पर हैं। फाइनेंशियल एडवाइजर्स का कहना है कि सिर्फ इसलिए कि मार्केट रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया है, आपको अपने सभी स्टॉक्स बेच देने की जरूरत नहीं है। NRP Capitals के फाउंडर ऋषभ पारेख ने कहा, "मार्केट पहली बार ऑल-टाइम हाई पर नहीं नहीं है। सेंसेक्स ने जब 30,000, 40,000 और 50,000 का लेवल पार किया था तब भी लोगों के मन में ऐसे सवाल आए थे कि उन्हें अपने स्टॉक्स बेच देने चाहिए या निवेश बनाए रखना चाहिए।"
अपने एसेट एलोकेशन को संतुलित बनाए रखें
आपको अपने एसेट एलोकेशन पर नजर डालनी चाहिए। मान लीजिए आपने 100 रुपये में से 50 रुपये स्टॉक्स और 50 रुपये डेट में निवेश किया है। स्टॉक मार्केट्स चढ़ने की वजह से शेयरों में आपका मौजूदा एलोकेशन 60 रुपये हो गया होगा। ऐसे में आप शेयरों से 10 रुपये की वैल्यू निकालकर डेट इंस्ट्रूमेंट में लगा सकते हैं। इसकी वजह यह है कि इससे आपके पोर्टफोलियो का संतुलन बना रहेगा। चूंकि आपका पोर्टफोलियो रिस्क लेने की आपकी क्षमता के हिसाब से बना होता है तो इससे आपके रिस्क प्रोफाइल में बदलाव नहीं होगा।
लक्ष्य नजदीक हो तो पैसा डेट में शिफ्ट कर दें
दूसरा बड़ा सवाल यह है कि आपका फाइनेंशियल गोल (Financial Goal) कितना दूर रह गया है? Credence Family Office के एमडी कीर्तन शाह ने कहा कि अगर आपका फाइनेंशियल गोल नजदीक आ गया है तो आपको शेयरों से कुछ पैसे निकालकर डेट में शिफ्ट करना ठीक रहेगा।
स्मॉलकैप और मिडकैप की कीमतें 12 साल के औसत से ऊपर
एक बात याद रखें कि सेंसेक्स के 70,000 पार कर जाने का मतलब यह नहीं है कि शेयरों की कीमतें यहां से आगे नहीं जाएंगी। Nifty का प्राइस-अर्निंग्स मल्टीपल अब भी इसके 10 साल के औसत से कम है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के इंडिया वैल्यूएशंस हैंडबुक (नवंबर 2023) में यह बताया गया है। उधर, CLSA की 29 नवंबर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स अपने 12 साल के औसत से आगे निकल गए हैं। इसलिए अगर आपके पोर्टफोलियो में ज्यादातर लार्जकैप हैं तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।
इंटरेस्ट रेट में कमी होने पर स्मॉलकैप-मिडकैप को फायदा
Capital League की मैनेजिंग पार्टनर सपना नारंग ने कहा कि अगले साल अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व इंटरेस्ट रेट में कमी कर सकता है। ऐसा होने पर इंडिया में RBI भी इंटरेस्ट रेट में कमी करेगा। उन्होंने कहा कि कम इंटरेस्ट रेट स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों के लिए फायदेमंद होता है। उनके लिए बिजनेस के विस्तार के लिए कर्ज जुटाना आसान हो जाता है। इससे उनकी वैल्यूएशन में इम्प्रूवमेंट आएगा और उनके स्टॉक्स की कीमतों में उछाल देखने को मिलेगा।
स्मॉलकैप स्टॉक्स ने दिए सबसे ज्यादा रिटर्न
2023 में BSE Small cap Index ने 44 फीसदी रिटर्न दिया है। BSE Midcap Index का रिटर्न 42 फीसदी रहा है। इसके मुकाबले Sensex ने 14 फीसदी रिटर्न दिया है। नारंग ने कहा कि निवेशकों को उनकी पहली सलाह यह है कि उन्हें अपने स्मॉलकैप स्टॉक्स बेच देने चाहिए।
लॉस बुक करने का भी विकल्प
Fisdom के रिसर्च हेड नीरव कारकेरा ने कहा कि लॉस बुक करना टैक्स के लिहाज से फायदेमंद है। आप 8 साल के पीरियड में अपने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के साथ अपने लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को सेट-ऑफ कर सकते हैं। अगर आपके पोर्टफोलियो में म्यूचुअल फंड की कोई स्कीम या स्टॉक अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है तो आप उसे बेच सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी फंड में निवेश का आपका मकसद पूरा हो गया है तो आप उसे बेच सकते हैं।