Shoes GST rate: अगर आप त्योहारी सीजन में नए जूते खरीदने की सोच रहे, तो आपको पहले नए GST रूल पर गौर कर लेना चाहिए। इस नियम को समझने के बाद आप जूतों की खरीद पर ठीक-ठाक पैसे बचा सकते हैं। आइए समझते हैं कि जूते खरीदते समय किस GST नियम पर ध्यान देना जरूरी है, ताकि आप ज्यादा से ज्यादा पैसे बचा सकें।
नए GST नियमों में तीन स्लैब हैं- 5%, 18% और 40%। सभी जरूरी वस्तुएं 5% स्लैब में हैं। लग्जरी आइटम 18% स्लैब में आते हैं। वहीं, सिन गुड्स (sin goods) 40% टैक्स स्लैब में आती हैं।
GST काउंसिल ने फुटवियर पर GST 5% कर दिया है, लेकिन कीमत की सीमा ₹2500 तय की गई है। मतलब ₹2500 तक के जूतों पर केवल 5% GST लगेगा। वहीं, ₹2500 से ऊपर कीमत वाले जूतों पर 18% GST देना होगा।
यानी अगर आप ₹2500 के जूते खरीदते हैं, तो आपको सिर्फ 5% GST देना होगा। लेकिन अगर जूतों की कीमत एक रुपया भी ज्यादा हो, यानी ₹2501 हो, तो आपको 18% GST चुकाना पड़ेगा।
अक्सर ग्राहक यह नहीं देखते कि उनके खरीदे हुए सामान पर कितना GST लगता है। हाल की GST दरों में बदलाव के बाद इस छोटे से फर्क पर ध्यान देना आपको थोड़ी अतिरिक्त बचत करा सकता है।
मान लीजिए आप दो जोड़े जूते खरीद रहे हैं- पहले जोड़े की कीमत ₹2500 और दूसरे की कीमत ₹2501। पहले जोड़े पर GST सिर्फ 5% लगेगा, यानी ₹125। ऐसे में कुल कीमत कीमत होगी ₹2625। लेकिन दूसरे जोड़े की कीमत सिर्फ एक रुपया ज्यादा होने की वजह से GST 18% लग जाता है, यानी ₹450.18, और कुल कीमत बनती है ₹2951.18।
इसका मतलब है कि सिर्फ 1 रुपये की बढ़ोतरी से GST और कुल कीमत में बड़ा अंतर आ जाता है। अगर आप इस अंतर पर ध्यान देंगे, तो सिर्फ 1 रुपये की कीमत कम होने से आप ₹326.18 बचा सकते हैं। इसलिए जूते खरीदते समय कीमत पर ध्यान देना जरूरी है।
ब्रांडेड और भारत में बने जूतों का फर्क
ब्रांडेड और इम्पोर्टेड जूते आमतौर पर ₹2500 से ऊपर के होते हैं, इसलिए 5% GST का फायदा इनमें नहीं मिलेगा। वहीं, भारत में बने जूतों की कम MRP के कारण ग्राहक लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, लेदर और फुटवियर इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले कई मुख्य आइटम पर GST दरें भी कम की गई हैं।
लेदर-फुटवियर इंडस्ट्री को GST राहत