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SIP स्टॉपेज रेशियो लगातार चौथे महीने बढ़ा, क्या इसका मतलब है कि शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी घट रही है?

लगातार चौथे महीने सिप स्टॉपेज रेशियो बढ़ा है। खास बात यह है कि नए सिप अकाउंट रजिस्ट्रेशन की रफ्तार भी घटी है। लगातार दूसरे महीने इसमें गिरावट दिखी है। नवंबर में सिप स्टॉपेज रेशियो बढ़कर 79.12 फीसदी पहुंच गया

अपडेटेड Dec 11, 2024 पर 11:18 AM
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि नवंबर में सिप स्टॉपेज रेशियो में गिरावट की बड़ी वजह अक्टूबर-नवंबर में मार्केट में आई गिरावट हो सकती है।

सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (सिप) स्टॉपेज रेशियो बढ़ा है। नवंबर में यह रिकॉर्ड ऊंचाई के करीब पहुंच गया। सिप स्टॉपेज रेशियो का मतलब किसी एक महीने में डिसकंटिन्यू या एक्सपार्यड सिप और सिप के नए रजिस्ट्रेशन के अनुपात से है। लगातार चौथे महीने सिप स्टॉपेज रेशियो बढ़ा है। खास बात यह है कि नए सिप अकाउंट रजिस्ट्रेशन की रफ्तार भी घटी है। लगातार दूसरे महीने इसमें गिरावट दिखी है। इसकी वजह अक्टूबर और नवंबर में स्टॉक में आई गिरावट हो सकती है।

नए सिप अकाउंट रजिस्ट्रेशन में भी गिरावट

Association of Mutual Funds in India (AMFI) के डेटा के मुताबिक, नवंबर में 49 लाख नए SIP अकाउंट्स रजिस्टर्ड हुए। यह अक्टूबर के 63.7 लाख के मुकाबले काफी कम है। नवंबर में SIP डिसकंटिन्यूशन बढ़कर 39.14 लाख पहुंच गया। यह अक्टूबर के 38.8 लाख के मुकाबले ज्यादा है। इससे नवंबर में सिप स्टॉपेज रेशियो बढ़कर 79.12 फीसदी पहुंच गया। यह मई के 88.38 फीसदी के ऑल-टाइम हाई के बाद सबसे ज्यादा है।


मई 2020 में स्टॉप रेशियो 80 फीसदी पहुंच गया था

मई 2020 में SIP स्टॉपेज रेशियो 80.69 फीसदी पहुंच गया था। तब कोविड की महामारी शुरू होने के बाद स्टॉक मार्केट्स में बड़ी गिरावट आई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि नवंबर में सिप स्टॉपेज रेशियो में गिरावट की बड़ी वजह अक्टूबर-नवंबर में मार्केट में आई गिरावट हो सकती है। मार्केट में गिरावट की वजह से निवेशक नया सिप शुरू करना नहीं चाहते हैं। जो निवेशक पहले से सिप के रास्ते निवेश कर रहे हैं, वे भी तब तक निवेश बढ़ाना नहीं चाहते हैं, जब तक स्टॉक मार्केट की तस्वीर साफ नहीं हो जाती है।

गिरावट आने पर सिप स्टॉपेज रेशियो बढ़ता है

आनंद राठी वेल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज का कहना है कि सिप स्टॉपेज रेशियो में इजाफा से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि डायरेक्ट और रेगुलर सिप में बड़ा फर्क है। डायरेक्ट सिप में टेक्नोलॉजी की बड़ी भूमिका होती है। टेक्नोलॉजी की वजह से डायरेक्ट सिप शुरू करना और स्टॉप करना बहुत आसान होता है। इसलिए स्टॉक मार्केट में गिरावट या ज्यादा उतारचढ़ाव होने पर इनवेस्टर्स सिप स्टॉप करते हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि उन्हें सही सलाह नहीं मिलती है। उधर, रेगुलर सिप में फाइनेंशियल एडवाइजर्स की भूमिका होती है। कुल इनवेस्टमेंट वॉल्यूम में इसकी बड़ी हिस्सेदारी है।

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इनवेस्टर्स के आत्मविश्वास पर असर नहीं

उन्होंने कहा कि देश में चुनावों का असर भी सिप पर पड़ता है। मई में लोकसभा चुनाव थे। सिप स्टॉपेज रेशियो बढ़ने के बावजूद नेट इक्विटी इनफ्लो अच्छा है। स्मॉलकैप में अच्छा निवेश हो रहा है, जिससे रिटेल इनवेस्टर्स के मजबूत आत्मविश्वास का पता चलता है। हालांकि, उन्होंने यह बताया कि अगर सिप स्टॉपेज रेशियो में गिरावट आगे जारी रहती है तो इससे मार्केट स्टैबिलिटी पर असर पड़ सकता है। कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि नए सिप रजिस्ट्रेशन में सुस्ती की वजह नवंबर में एनएफओ की कम संख्या हो सकती है।

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