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SGB Scheme: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदना चाहते हैं? जोखिम के साथ समझें निवेश की रणनीति

SGB Scheme: सरकार ने 2024 से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) की नई सीरीज जारी करना बंद कर दिया है। लेकिन सेकेंडरी मार्केट के जरिए SGB में अब भी निवेश कर सकते हैं। जानिए SGB में निवेश के फायदे, जोखिम, लिक्विडिटी की चुनौतियां और कौन-सी रणनीति अपनाकर बेहतर रिटर्न पाया जा सकता है।

Suneel Kumarअपडेटेड May 01, 2025 पर 9:15 PM
SGB Scheme: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदना चाहते हैं? जोखिम के साथ समझें निवेश की रणनीति
सरकार ने अप्रैल 2024 से SGB की नई सीरीज जारी करना बंद करने का निर्णय लिया है।

SGB Scheme: भारत सरकार ने साल 2015 में Sovereign Gold Bond (SGB) योजना शुरू की थी। यह आज निवेशकों के लिए सोने में निवेश का एक भरोसेमंद विकल्प बन चुकी है। इसमें निवेशक फिजिकल गोल्ड खरीदे बिना उसकी कीमतों से जुड़ा लाभ कमा सकते हैं। साथ ही, उन्हें सालाना 2.5% ब्याज भी मिलेगा।

लेकिन, सरकार ने 2024-25 से SGB की नई सीरीज जारी करना बंद कर दिया है। अब निवेशकों के पास सिर्फ सेकेंडरी मार्केट के जरिए ही SGB खरीदने का विकल्प बचा है, जैसे कि स्टॉक मार्केट में शेयर खरीदे बेचे जाते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि निवेशक SGB के मूल्य निर्धारण, लिक्विडिटी, और रणनीतियों को समझकर ही इसमें निवेश करें।

क्या हैं Sovereign Gold Bonds?

SGB दरअसल सरकार द्वारा RBI के माध्यम से जारी किए गए बॉन्ड होते हैं, जिनका मूल्य सोने की कीमतों से जुड़ा होता है। हर बॉन्ड एक ग्राम सोने के बराबर होता है। इसकी परिपक्वता अवधि 8 साल होती है। हालांकि, आप 5 साल बाद प्रीमैच्योर एग्जिट की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

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