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Ahoi Ashtami 2025: गुरु-पुष्य योग बनने से खास हुआ व्रत, जानें कैसे होता है अहोई अष्टमी व्रत का पारण और क्या खाते हैं?

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए करती हैं। इसमें माताएं निरजल उपवास करती हैं और शाम को तारों के दर्शन करने के बाद व्रत का पारण करती हैं। जानिए इस व्रत की विधि, समय और गुरु-पुष्य योग के खास कनेक्शन के बारे में

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 04, 2025 पर 8:30 PM
Ahoi Ashtami 2025: गुरु-पुष्य योग बनने से खास हुआ व्रत, जानें कैसे होता है अहोई अष्टमी व्रत का पारण और क्या खाते हैं?
अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए ये व्रत करती हैं। इस दिन माताएं निर्जला व्रत करती हैं और अहोई अष्टमी के साथ ही स्याही माता की पूजा करती हैं। शाम के समय तारों के निकलने पर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। हिंदू धर्म में इसे कठिन व्रत में से एक माना जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दिवाली के त्योहार के आठ दिन पहले किया जाता है। ये मां का अपनी संतान के प्रति प्रेम, मोह और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि नि:संतान स्त्रियां इस व्रत को संतान प्राप्ति की इच्छा से करती हैं।

इस बार मिल रहा गुरु-पुष्य योग का संयोग

इस साल अहोई अष्टमी के व्रत पर गुरु-पुष्य योग का संयोग बन रहा है। ज्योतिष में इस योग को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

अहोई अष्टमी तिथि और पूजा शुभ मुहूर्त

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:24 बजे से शुरू हो रही है। ये तिथि 14 अक्टूबर 2025 को सुबह 11:09 बजे तक रहेगी। ऐसे में अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर 2025,सोमवार के दिन किया जाएगा।

पूजा मुहूर्त : शाम 05:53 बजे से 07:08 बजे तक

तारों के उदय होने का समय : शाम 06:17 बजे

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