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Ahoi ashtami 2025 katha: संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत आज, इसमें जरूर सुनें स्याहू माता की व्रत कथा

Ahoi ashtami 2025 katha: अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। इस साल ये व्रत आज यानी 13 अक्टूबर के दिन किया जा रहा है। इस व्रत में स्याहू माता की कथा सुनने का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस कथा के बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है।

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 13, 2025 पर 10:02 AM
Ahoi ashtami 2025 katha: संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत आज, इसमें जरूर सुनें स्याहू माता की व्रत कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्याहू माता की कथा के बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है।

Ahoi ashtami 2025 katha: संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए आज अहोई अष्टमी का व्रत किया जा रहा है। इस दिन माताएं निर्जला उपवास करती हैं और शाम को तारों का दर्शन करने के बाद व्रत का समापन करती है। अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस व्रत में स्याहू माता की कथा सुनने का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस कथा के बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है। आइए जानें स्याहू माता की ये कथा

अहोई अष्टमी स्याहू माता व्रत कथा

प्राचीन काल में एक साहुकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहुकार की एक बेटी भी थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुओं के साथ ननद भी मिट्टी लाने जंगल में गई। मिट्टी काटते समय अनजाने में साहुकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहु (साही) का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी। इस पर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभीयों से एक-एक कर विनती की कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है।

पंडित ने बताया उपाय

छोटी बहू के जो भी बच्चे होते वे सात दिन बाद मर जाते। इस प्रकार सात पुत्रों की मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी। सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है। रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगती हैं। अचानक साहुकार की छोटी बहू देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है। वह सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहु ने उसके बच्चे के मार दिया है। वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है। छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है।

स्याहू ने प्रसन्न होकर दिया आशीर्वाद

वहां स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है। अहोई का ‘अनहोनी से बचाना’ भी होता है।

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