गुरु पूर्णिमा का त्योहार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन ऋषि पराशर के पुत्र वेदव्यास का जन्म होने की वजह से इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। शास्त्रों में महर्षि व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना गया है। इन्होंने महाभारत महाकाव्य सहित ब्रह्मसूत्र, श्रीमद्भाग्वत और 18 पुराणों की रचना की थी। इस दिन लोग अपने गुरु का आर्शीवाद पाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस पर्व से जीवन में गुरु के महत्व का पता चलता है। इस दिन सोशल मीडिया पर भी गुरु, शिक्षक या टीचर को ढेरों मेसेज भेजकर शुभकामनायें देते हैं। साथ ही अपने जीवन में मार्गदर्शक का रोल निभाने वाले गुरु समान व्यक्ति को भेंट भी देते हैं। इसमें सिर्फ स्कूल या कॉलेज टीचर या प्रोफेसर ही नहीं आते हैं, बल्कि हर वो व्यक्ति हमारा गुरु है जिससे हमने जीवन में कुछ सीखा है। यह दिन गुरु और शिष्य के संबंध के महत्व और उसकी पवित्रता के प्रति समर्पित है।