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Dhanteras 2025: लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ती खरीदने से पहले जानें पूरानी मूर्तियों को हटाने का नियम

Dhanteras 2025: धनतेरस पर हर साल लोग लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्तियां भी खरीदते हैं। दिवाली के दिन नई प्रतिमाओं की पूजा करना शुभ मानते हैं। नई प्रतिमाएं लाने के बाद पुरानी मूर्ति को हटा दिया जाता है। लेकिन इन पुरानी मूर्तियों को हटाने का शास्त्र सम्मत उपाय क्या है, आइए आज जानते हैं।

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 18, 2025 पर 1:21 PM
Dhanteras 2025: लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ती खरीदने से पहले जानें पूरानी मूर्तियों को हटाने का नियम
दिवाली पर हर साल लोग नई प्रतिमाओं की पूजा करना शुभ मानते हैं।

Dhanteras 2025: धनतेरस के त्योहार के साथ आज से दीपावली के पंचपर्व की शुभ शुरुआत हो चुकी है। धनतेरस या धनत्रयोदशी का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन से लोग मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी शुरू करते हैं और दीपावली के दिन उनका स्वागत करते हैं। आज के दिन मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और आरोग्य के दाता भगवान धनवंतरी की पूजा करते हैं। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग आज के दिन बहुत सी चीजों की खरीदारी भी करते हैं, जिसमें दिवाली के दिन पूजी जाने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां भी शामिल हैं। हर साल लोग नई प्रतिमाओं की पूजा करना शुभ मानते हैं। नई प्रतिमाएं लाने के बाद पुरानी मूर्ति को हटा दिया जाता है। ऐसे में पुरानी प्रतिमाएं घर के किसी कोने में रख दी जाती हैं। लेकिन इन पुरानी मूर्तियों को हटाने का शास्त्र सम्मत उपाय क्या है, आइए आज जानते हैं।

हर बदलते हैं मिट्टी की मूर्ती

हर साल अगर आप दिवाली के दिन मिट्टी की मूर्तियों पूजा करते हैं, तो परंपरा के अनुसार हर त्योहार पर नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। मिट्टी की मूर्ती नश्वरता और नए जीवन का प्रतीक मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर साल नई मूर्तियां लाने से जीवन में नई ऊर्जा और शुभता का संचार होता है।

धातु की मूर्तियों के अलग हैं नियम

आप दिवाली के दिन सोना, चांदी, तांबा या किसी अन्य धातु से बनीं लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों की पूजा करते हैं इनके नियम अलग हैं। ऐसी मूर्तियां हर साल बदलने की जरूरत नहीं होती है। से मूर्तियां लंबे समय तक पूजनीय मानी जाती हैं, क्योंकि धातु को शुद्ध और स्थायी तत्व समझा जाता है। इसलिए, दिवाली के दिन इन्हें केवल गंगा जल या शुद्धशु जल से स्नान करा कर, कपड़े से पोंछकर और सुगंधित फूलों से सजा कर पूजा करनी चाहिए। यह मूर्ति घर की स्थायी लक्ष्मी–गणेश मानी जाती है।

सम्मान के साथ विसर्जित करें पुरानी मूर्तियां

शास्त्रों के अनुसार, पुरानी मूर्तियों को सम्मान के साथ हटाना चाहिए। इन्हें कभी भी या कहीं भी फेंकना या छोड़ना नहीं चाहिए। पूजा के बाद पुरानी मूर्तियों को श्रद्धा के साथ किसी नदी, तालाब या साफ बहते जल में विसर्जित करना चाहिए। सोमवार का दिन मूर्ति विसर्जन के लिए बेहद शुभ माना जाता है। भूल से भी मंलवार को मूर्ति विसर्जन नहीं करना चाहिए। मूर्ति विसर्जन दिन के समय ही करना चाहिए, सूर्यास्त के बाद ये काम न करें। पुरानी मूर्तियों को भूल कर भी किसी गंदी जगह पर नहीं छोड़ना चाहिए।

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