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Hartalika Teej Vrat Vidhi: कल हस्त नक्षत्र में होगा व्रत, जानिए इस नर्जिला उपवास से शिव जी के प्रसन्न होने की पूरी कहानी

Hartalika Teej 2025 Vrat Vidhi: इस व्रत को उसी तरह से किया जाता है, जैसे भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने आदि काल में किया था। इस व्रत से देवाधिदेव महादेव पार्वती से कैसे प्रसन्न हुए थे, जानने के लिए पढ़ें पूरी कहानी।

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 25, 2025 पर 12:16 PM
Hartalika Teej Vrat Vidhi: कल हस्त नक्षत्र में होगा व्रत, जानिए इस नर्जिला उपवास से शिव जी के प्रसन्न होने की पूरी कहानी
हरतालिका तीज के व्रत में इस साल मिल रहा है हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग।

Hartalika Teej 2025: हर साल हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं और कुंवारी कन्याएं दोनों करती हैं। इस व्रत को हिंदू धर्म के सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि यह उपवास तृतीया तिथि को सूर्योदय से शुरू होकर चतुर्थी तिथि के सूर्योदय तक निर्जला रहता है। इस साल यह उपवास 26 अगस्त को किया जाएगा। भाद्रपद मास की तृतीया तिथि आज यानी 12.34 बजे लग जाएगी, जो 26 अगस्त को दोपहर 01.54 बजे तक रहेगी। इसलिए 26 अगस्त को उदया तिथि होने की वजह से हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा।

पंचांग के अनुसार इस साल हरतालिका तीज के व्रत पर हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग भी मिल रहा है। माना जाता है कि मां पार्वती ने भी भगवान शिव को पाने के लिए ये व्रत हस्त नक्षत्र में किया था। इसलिए इस बार के व्रत का समय बहुत शुभ माना जा रहा है। हरतालिका तीज के व्रत में महिलाएं भगवान शिव और मां पर्वती की मूर्ति हाथ से बनाकर उसकी पूजा करने का विधान है। खास बात ये है कि इस व्रत को उसी तरह से किया जाता है, जैसे भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने आदि काल में किया था। इस व्रत से देवाधिदेव महादेव पार्वती से कैसे प्रसन्न हुए थे, जानने के लिए पढ़ें पूरी कहानी।

भगवान शिव ने खुद सुनाई थी ये कहानी

एक बार भगवान शिव के निवास कैलाश पर वह मां पार्वती और अपने सभी गणों के साथ बैठे थे। तब मां पार्वती ने अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए भोलेनाथ से प्रश्न किया था, जिसके उत्तर में उन्होंने इस व्रत का पूरा वर्णन किया था। मां पार्वती ने कहा, ‘प्रभु, मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं कि मुझे आप पति रूप में मिले हैं। क्या मैं जान सकती हूं कि मैंने ऐसा कौन सा पुण्य किया था, जो आप मुझे पति रूप में प्राप्त हुए ?’ उनकी बात सुनकर भगवान शिव ने कहा, ‘पार्वती तुमने बहुत उत्तम, पुण्य का संग्रह किया था, जिससे तुमने मुझे पति रूप में प्राप्त किया है। ये गुप्त व्रत है, लेकिन मैं तुम्हें बताता हूं।’ उन्होंने आगे बताया, ‘यह व्रत भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की तीज के नाम से जाना जाता है। इस व्रत का पुण्य तब और भी बढ़ जाता है, जब ये हस्त नक्ष्त्र में किया जाता है। तुमने भी यही व्रत किया था।’ ये सुनकर मां पार्वती को यकीन नहीं हुआ और उन्होंने इसे विस्तार से सुनने की इच्छा जताई। तब महादेव ने उन्हें बताया, ‘राजा हिमवान और रानी मैना की बेटी पार्वती ने मुझे पति रूप में पाने के लिए व्रत और तपस्या शुरू की। अपनी बेटी की ये हालत राजा हिमवान और रानी मैना से देखी नहीं जा रही थी। एक बार वो अपनी बेटी के विवाह के लिए बहुत चिंतित थे, तभी नारद जी उनके पास श्रीहरि विष्णु से विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचे। राजा हिमवान ने उनका ये प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। लेकिन ये बात जब तुम्हें पता चली तो तुम बहुत दुखी हो गई और तुमने इसकी चर्चा अपनी सहेली से की। तुम्हारी सहेली ने तब तुम्हें कहा कि मैं तुम्हें ऐसी गुफा में ले जाउंगी जहां तुम आराम से अपनी तपस्या जारी रख सकोगी और तुम्हारे पिता राजा हिमवान भी तुम्हें नहीं खोज पाएंगे। और तुम अपनी सखी के साथ उस गुफा में चली गई और अपनी तपस्या आरंभ करने के लिए नदी की बालू से लिंग बनाकर पूजा शुरू की। तुमने इस दौरान अन्न-जल त्याग कर मेरी प्रार्थना की तब हस्त नक्षत्र था। इसके बाद ही मैंने तुम्हारे समक्ष प्रकट होकर तुम्हें दर्शन दिए और मनोकामना पूर्ति का अशीर्वाद दिया।’

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