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Hartalika Teej Pooja Vidhi: शाम के समय की जाती है तीज की पूजा, जानिए इस निर्जल व्रत की पूरी पूजा विधि

Hartalika Teej Pooja Vidhi: इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और शाम के समय माता-पार्वती और शिव की पूजा करती हैं। इस दिन पूजा के हाथ से शिव-पार्वती की मूर्ति बना कर उसकी पूजा करने का विधान है। आइए जानें इस व्रत की सम्पूर्ण पूजा विधि

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 25, 2025 पर 9:08 PM
Hartalika Teej Pooja Vidhi: शाम के समय की जाती है तीज की पूजा, जानिए इस निर्जल व्रत की पूरी पूजा विधि
Hartalika Teej 2025: भगवान शिव और मां पार्वती से सुखी दांपत्य का आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है।

Hartalika Teej Pooja Vidhi हरतालिका तीज का व्रत हिंदू धर्म के सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं। इस दिन मिट्टी और बालू से भगवान शिव और मां पार्वती की हाथ से मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है। यह व्रत हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। इस बार यह उपवाद 26 अगस्त को किया जाएगा। खास बात ये है कि इस साल इस व्रत पर हस्त नक्षत्र का भी योग बन रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भी भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए इस व्रत को हस्त नक्षत्र में किया था। इसलिए जब भी ये व्रत हस्त नक्षत्र में होता है, तो इसे शुभ फलदायी माना जाता है। इस व्रत में शाम के समय शिव-पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। आइए जानें इस दिन की जाने वाली पूजा की पूरी विधि

पूजा विधि

इस दिन शादीशुदा महिलाएं और कुंवारी कन्याएं अखंड सौभाग्य की कामना से व्रत करती हैं। इस दिन के पूजा की विधि का खास महत्व होता है। इस दिन की पूजा में महिलाओं द्वारा शिव-पार्वती की हाथ से बनाई मूर्ति की पूजा करने का विधान है। पूजा की शुरुआत में सबसे पहले विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता भगवान गणेश को स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है।

इस दिन पूजा के स्थान को अच्छी तरह साफ करने के बाद पूर्व दिशा में चौकी बिछाएं। इस पर लाल कपड़ा बिछाकर शिव-पार्वती और गौरी पुत्र गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। इसके बाद मूर्तियों को गंगाजल से स्नान कराकर चौकी पर बिठाएं। फिर चौकी पर चावल का अष्टदल बना कर कलश स्थापित करें। कलश में सुपाड़ी, हल्दी डालकर उसके ऊपर आम के पत्ते लगाएं। इस कलश के मुंह पर कटोरी में चावल भर कर रखें। कलश पर स्वास्तिक चिह्न बनाएं और कटोरी में रखे चावल के ऊपर दीपक जलाकर रखें।

गणपति को वस्त्र और दूर्वा अर्पित करें और माता पर्वती को 16 श्रृंगार और चुनरी चढ़ाएं। महादेव को बेलपत्र, धतूरा, फल और फूल अर्पित करें। भोग के लिए खीर या पूए बना सकती हैं। इसके बाद भीगे चने भी अर्पित कर सकती हैं। इसके बाद दीपक जलाएं और मां पर्वती की मूर्ति को पांच बार सिंदूर लगाएं। इसके बाद मां पार्वती से सुहाग लेने के लिए वही सिंदूर खुद को पांच बार लगाएं। इस के बाद तीज व्रत की कथा कहें और आरती कर प्रसाद वितरण करें।

इस दिन शिव-पार्वती को गुलाल, इत्र और गुलाब का फूल भी अर्पित किया जाता है। इसके अलावा भोलेनाथ के वाहन नंदी महाराज को शहद अर्पित करने का विधान है। कहीं-कहीं इस दिन मां पार्वती को सुहाग की पिटारी चढ़ाई जाती है, जिसमें साड़ी, पायल-बिछिया सहित सुहाग का सभी सामान होता है। आप चाहें तो ये पिटारी परिवार की विवाहित बुजुर्ग महिला को भेंट कर सकती हैं।

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