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Margashirsha Maas Jeera: अगहन के महीने में जीरा खाने पर क्या है प्रतिबंध, आइए जानें इस मान्यता की वजह

Margashirsha Maas Jeera: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष मास को भगवान श्री कृष्ण का प्रिय महीना माना जाता है। इस माह में श्री कृष्ण की पूजा और व्रत करने पर विशेष लाभ मिलता है। इस माह के कुछ विशेष नियम हैं, जिन्हें नहीं मानने पर नुकसान भी सहना पड़ सकता है। आइए जानें इन नियमों के बारे में

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 10, 2025 पर 8:38 PM
Margashirsha Maas Jeera: अगहन के महीने में जीरा खाने पर क्या है प्रतिबंध, आइए जानें इस मान्यता की वजह
आर्युवेद में बताया गया है कि अगहन मास में जीरा भूलकर भी नहीं खाना चाहिए।

Margashirsha Maas Jeera: मार्गशीर्ष मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस मास में भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से कई गुना लाभ मिलता है। श्री कृष्ण ने इस माह की विशेषता के बारे में खुद भागवत गीता में बताया है। इसलिए इसे श्री कृष्ण का प्रिय महीना भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मास के कुछ विशेष नियम भी हैं, जिनका पालन करने वालों को भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इन्हीं नियमों का ध्यान रखते हुए कार्य करने से हर तरह की परेशानी से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की भी कृपा बनी रहती है। इन नियमों में से एक नियम यह भी है कि इस माह में जीरा नहीं खाना चाहिए। आइए जानें हैं अगहन मास में जीरा नहीं खाने के नियम की क्या वजह है?

हिंदू पंचांग में मार्गशीर्ष माह में पूजा-पाठ, व्रत और सात्त्विक भोजन का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस समय व्यक्ति को अपने आहार-विहार और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आर्युवेद में बताया गया है कि अगहन मास में जीरा भूलकर भी नहीं खाना चाहिए। अगर आप इस मास में जीरा खाते हैं तो इससे ना सिर्फ आपकी सेहत खराब होगी बल्कि कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।

इंद्रियों को उत्तेजित करता है जीरा : पुराणों और आयुर्वेदिक ग्रंथों में बताया गया है कि अगहन मास में जीरा खाने से शरीर में अग्नि (पाचन शक्ति) अत्यधिक बढ़ जाती है। चूंकि यह महीना शीत ऋतु का होता है, इसलिए जीरा जैसी तासीर में गर्म वस्तु का सेवन संतुलन बिगाड़ सकता है। धर्मशास्त्र के अनुसार, अगहन मास में शरीर और मन को संयमित रखने की सलाह दी गई है। जीरा का सेवन इंद्रियों को उत्तेजित करता है, इसलिए इसे व्रत या पूजन काल में त्यागने की परंपरा बनी। जीरा को रजोगुण को बढ़ाने वाला पदार्थ माना गया है यानी यह एकाग्रता और ध्यान में बाधा डाल सकता है।

जीरा खाने से कम होती है लक्ष्मी की कृपा : लोक मान्यता के अनुसार, अगहन मास में जीरा खाने से लक्ष्मी-कृपा कम होती है। यह महीना श्रीहरि विष्णु की उपासना का है और श्रीहरि को सात्त्विक अन्न प्रिय है। जीरा को तामसिक या उष्ण गुण वाला मानकर इससे परहेज किया जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा तक किचन में जीरे का प्रयोग रोक दिया जाता है। इसके स्थान पर लोग हींग या काली मिर्च का उपयोग करते हैं।

शरीर में पित्त बढ़ाता है जीरा : आयुर्वेद के अनुसार जीरा शरीर में पित्त, उष्ण वीर्य बढ़ाता है। अगहन मास में पित्त दोष पहले ही थोड़ा अधिक सक्रिय हो जाता है, इसलिए इस मास में जीरा का सेवन वर्जित बताया गया है। अगर आप इस मौसम में जीरे का सेवन करते हैं तो त्वचा रोग, सिरदर्द या पाचन में गड़बड़ी हो सकती है। इसलिए यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं बल्कि स्वास्थ्य से भी जुड़ी है।

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