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Lunar eclipse 2025: ढाई घंटे पहले बंद हो जाएंगे काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट, 12 घंटे बंद रहेगा तिरुमला मंदिर और जानें सूतक का समय

Lunar eclipse 2025: भाद्रपद मास की पूर्णिमा के दिन 7-8 सितंबर को लगने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। इस कारण इस ग्रहण का सूतक काल भी माना जाएगा। इसे देखते हुए तिरुमला मंदिर 12 घंटे और काशी विश्वनाथ मंदिर ढाई घंटे के लिए बंद रहेगा।

अपडेटेड Aug 30, 2025 पर 4:51 PM
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ढाई घंटे पहले बंद हो जाएंगे काशी विश्वनाथ के कपाट।

Lunar eclipse 2025: भाद्रपद मास की पूर्णिमा के दिन 7-8 सितंबर की रात का पूर्ण चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह चंद्र ग्रहण भारत में भी नजर आएगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा। ग्रहण के दौरान धार्मिक कार्य करने सहित कई चीजों करने की मनाही होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण की छाया पड़ने से मंदिर जैसे पवित्र स्थान दूषित हो जाते हैं। इसलिए इस दौरान उसके कपाट बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण के बाद शुद्धि-हवन करने के बाद ही खुलते हैं। यह चंद्र ग्रहण सबसे लंबी अवधि तक रहेगा और भारत में नजर आएगा, इसलिए इस दौरान मंदिर बंद रहेंगे और पूजा-पाठ नहीं होगा।

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और तिरुपति के तिरुमला मंदिर भी ग्रहण के दौरान बंद रहेंगे। इस बारे में मंदिर की ओर सूचना दी गई है। वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर जहां ढाई घंटे के लिए बंद रहेगा, वहीं तिरुमला मंदिर पूरे 12 घंटों के लिए बंद कर दिया जाएगा।

ढाई घंटे बंद रहेगा विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर से सूचना जारी की गई है। इसके अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा यानी 7 सितंबर को खग्रास चंद्र ग्रहण लग रहा है। काशी में चंद्रग्रहण रात 9:57 बजे से 11:41 बजे तक रहेगा। मोक्ष रात 1:27 बजे होगा। साढ़े तीन घंटे तक लगने वाले चंद्रग्रहण से नौ घंटे पहले ही सूतक काल माना जाएगा। काशी विश्वनाथ तीनों लोकों, देवी-देवताओं, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, सुर और असुरों के स्वामी हैं। इसलिए उन पर सूतक का प्रभाव नहीं होता है। लेकिन आम लोगों के लिए ग्रहण का सूतक दोष मान्य होता है। अमर उजाला के छपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की सूचना के मुताबिक मंदिर की परंपरा के अनुसार चंद्र या फिर सूर्य ग्रहण के स्पर्श के लगभग ढाई घंटे पहले ही मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

कपाट बंद करने से पहले होगी चार प्रहर की आरती

ग्रहण वाले दिन विश्वनाथ बाबा की आरती समय से पहले ही संपन्न कराई जाएगी। संध्या आरती शाम 4:00 से 5:00 बजे तक होगी। शृंगार भोग आरती शाम 5:30 से 6:30 बजे और शयन आरती शाम 7:00 से 7:30 बजे तक कराई जाएगी। शयन आरती के उपरांत मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।


तिरुमला मंदिर के पट दोपहर 3.30 बजे से रहेंगे बंद

चंद्रग्रहण के दिन 7 सितंबर को भगवान वेंकटेश्वर के तिरुमला मंदिर के दरवाजे भक्तों के दर्शन और पूजा के लिए लगभग 12 घंटे के लिए बंद रहेगा। मंदिर के कपाट 7 सितंबर को दोपहर 3.30 बजे बंद हो जाएंगे और शुद्धि, पुण्याहवन और अन्य शुद्धिकरण अनुष्ठानों के बाद 8 सितंबर को सुबह 3 बजे फिर से खुलेंगे। भक्त 8 सितंबर को सुबह 6 बजे से फिर दर्शन कर सकेंगे। इस दौरान तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने उनजल सेवा, अर्जित ब्रह्मोत्सवम और सहस्र दीपालंकार सेवा जैसी सेवाओं को रद्द कर दिया है। अन्नदानम परिसर भी 7 सितंबर को दोपहर 3 बजे से बंद रहेगा और अगले दिन सुबह 8.30 बजे सेवा फिर से शुरू होगी।

नौ घंटे पहले लगेगा सूतक

7-8 सितंबर को लग रहे पूर्ण चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले लग जाएगा। हिंदू परंपरा के अनुसार, चंद्र ग्रहण से पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस ग्रहण का सूतक 7 सितंबर को दोपहर 12:56 बजे से शुरू होगा। सूतक के दौरान, पूजा-पाठ, खाना बनाना और भोजन करना प्रतिबंधित होता है। बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

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