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सावन के महीने में शिव को खुश करना है तो गलती से भी ये चीजें ना खाएं

सावन के महीने में तामसिक भोजन का त्याग केवल धार्मिक परंपरा या आस्था नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, विज्ञान और सामाजिक समरसता से भी जुड़ा है। यह महीना हमें संयम, शुद्धता और सात्विकता का महत्व सिखाता है। इसलिए, सावन में तामसिक भोजन से दूर रहकर सात्विक आहार अपनाना सही मायनों में शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का मार्ग है

Anchal Jhaअपडेटेड Jul 13, 2025 पर 5:45 AM
सावन के महीने में शिव को खुश करना है तो गलती से भी ये चीजें ना खाएं
Sawan 2025: सावन का महीना चातुर्मास का हिस्सा है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन इसी माह में हुआ था।

सावन का महीना भारतीय संस्कृति में अत्यंत पावन और आध्यात्मिक महत्व का समय माना जाता है। यह महीना भगवान शिव की आराधना, व्रत, उपवास और साधना का प्रतीक है। सावन में प्रकृति हरियाली से भर जाती है, वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है। ऐसे समय में खानपान को लेकर भी कई धार्मिक, वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी नियम बनाए गए हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है-तामसिक भोजन का त्याग।

तामसिक भोजन क्या है?

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है-सात्विक, राजसिक और तामसिक। सात्विक भोजन शुद्ध, हल्का और ऊर्जा देने वाला होता है, जैसे फल, दूध, दही, ताजे अनाज आदि। राजसिक भोजन में तीखे, मसालेदार और तले-भुने पदार्थ आते हैं। वहीं, तामसिक भोजन में मांस, मछली, अंडा, लहसुन, प्याज, शराब, तंबाकू, बासी और अत्यधिक तला-भुना खाना शामिल है।

सावन में क्या नहीं खाना चाहिए

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