भारतीय वास्तु शास्त्र में घर की ऊर्जा और समृद्धि को संतुलित रखने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। माना जाता है कि अगर इन नियमों का पालन किया जाए तो परिवार में खुशहाली बनी रहती है और जीवन में तरक्की के रास्ते खुलते हैं। इन्हीं उपायों में से एक खास उपाय है घर में कछुए की मूर्ति रखना। कछुआ वास्तु में दीर्घायु, स्थिरता और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
साथ ही, ये मूर्ति परिवार के लोगों के बीच सामंजस्य और शांति बनाए रखने में भी सहायक मानी जाती है। कहा जाता है कि अगर कछुए की मूर्ति को सही स्थान और दिशा में रखा जाए, तो इसका प्रभाव और भी ज्यादा शुभ होता है।
धन-समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक
कछुआ वास्तु में धन और सौभाग्य से जुड़ा हुआ माना जाता है। घर में कछुए की मूर्ति रखने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य बना रहता है। इसके अलावा, ये नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके घर के माहौल को सकारात्मक बनाता है।
कछुए की मूर्ति किस दिशा में रखी गई है, इसका विशेष महत्व होता है।
उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में पीतल, सोना या चांदी से बनी मूर्ति रखने से शुभ फल मिलते हैं।
उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में क्रिस्टल से बनी कछुए की मूर्ति रखने से घर में शांति और स्थिरता आती है।
अगर मूर्ति पानी से जुड़ी हो, तो पानी को नियमित रूप से बदलना जरूरी है।
पढ़ाई और एकाग्रता के लिए लाभकारी
वास्तु मान्यताओं के अनुसार, बच्चों की पढ़ाई में ध्यान और एकाग्रता बढ़ाने के लिए उनके कमरे में कछुए की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है। ये बच्चों की मानसिक एकाग्रता और सीखने की क्षमता को बढ़ाता है।
मुख्य द्वार पर रखने का महत्व
कछुए की मूर्ति को घर के मुख्य द्वार के पास रखना भी लाभकारी माना गया है। इसे इस तरह रखें कि कछुए का मुख हमेशा घर के अंदर की ओर हो। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और तरक्की का मार्ग खुलता है।