Ahmedabad 2030 Commonwealth Games: भारत 20 साल बाद कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी करेगा। बुधवार (26 नवंबर) को ग्लास्गो में राष्ट्रमंडल खेलों की आमसभा की बैठक में अहमदाबाद को मेजबान के तौर पर औपचारिक मंजूरी मिल गई। बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व संयुक्त सचिव (खेल) कुणाल, भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा और गुजरात के खेल मंत्री हर्ष संघवी सहित अन्य लोगों ने किया। कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी मिलना भारत के लिए गर्व की बात है।
कॉमनवेल्थ स्पोर्ट के अध्यक्ष डॉ डोनाल्ड रुकारे ने कहा, "यह राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एक नए सुनहरे दौर की शुरुआत है। भारत व्यापकता, युवा शक्ति, महत्वाकांक्षा, समृद्ध संस्कृति, अपार खेल-जुनून और प्रासंगिकता लेकर आता है। हम राष्ट्रमंडल खेलों के अगले शतक की शुरुआत मजबूत स्थिति में कर रहे हैं।"
राष्ट्रमंडल खेल 2030 में अपने 100 साल भी पूरे कर रहे हैं। ऐसे में 2030 का संस्करण विशेष रहने वाला है। भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी हासिल करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश 2036 में होने वाले ओलिंपिक खेलों की मेजबानी हासिल करने की दौड़ में भी है। अहमदाबाद को ही मेजबान शहर के रूप में पेश किया गया है।
भारत ने इससे पहले 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया था। लेकिन 2030 में इन खेलों को अहमदाबाद में आयोजित किया जाएगा। इसने पिछले एक दशक में अपने खेल ढांचे को नए स्तर तक पहुंचाया है। राष्ट्रमंडल खेल बोर्ड ने मूल्यांकन समिति की देखरेख में एक प्रक्रिया पूरी करने के बाद भारत को मेजबानी देने की की सिफारिश की थी।
नाइजीरिया से मिल रही थी टक्कर
राष्ट्रमंडल खेल 2030 की मेजबानी के लिए भारत को नाइजीरिया के शहर अबुजा से कड़ी टक्कर मिल रही थी। लेकिन कॉमनवेल्थ स्पोर्ट ने 2034 के खेलों की मेजबानी के लिए अफ्रीका के इस शहर के नाम पर विचार करने का फैसला किया। कॉमनवेल्थ स्पोर्ट ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "यह राष्ट्रमंडल खेल आंदोलन के भविष्य के लिए एक निर्णायक क्षण होगा। इसके 100 साल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ेगा।"
कॉमनवेल्थ गेम्स में कितना आता है खर्च?
भारत ने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी पर लगभग 70,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसका शुरुआती अनुमान 1600 करोड़ रुपये से कहीं अधिक था। चार साल में एक बार होने वाले इन खेलों में 72 देश हिस्सा लेते हैं। इनमें से ज्यादातर पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हैं। राष्ट्रमंडल खेल के अंतरिम अध्यक्ष डॉ. डोनाल्ड रुकारे ने कहा था कि कार्यकारी बोर्ड को भारत और नाइजीरिया दोनों के प्रस्ताव प्रेरक लगे। लेकिन आखिर में 2030 में होने वाले खेलों की मेबानी के लिए अहमदाबाद को चुना गया।
ग्लास्गो में 2026 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों का बजट बहुत कम कर दिया गया है। यह शहर पूरे आयोजन को आठ मील (लगभग 12 किमी) के दायरे में आयोजित करना चाहता है। उसने इन खेलों का बजट 114 मिलियन पाउंड (लगभग 1300 करोड़ रुपये) रखा है।
इस कारण कुश्ती, निशानेबाजी, बैडमिंटन और हॉकी जैसे कुछ प्रमुख खेलों को बाहर कर दिया गया। भारत इसका कड़ा विरोध कर रहा था क्योंकि इससे उसकी पदक जीतने की क्षमता पर गहरा असर पड़ा। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने हालांकि स्पष्ट कर दिया था कि 2030 के खेलों में उन सभी खेलों को शामिल किया जाएगा जिन्हें ग्लासगो खेलों से हटा दिया गया है।
अहमदाबाद को क्यों चुना गया?
अहमदाबाद ने हाल के महीनों में राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन चैंपियनशिप, एशियाई एक्वेटिक्स चैंपियनशिप और फुटबॉल के एएफसी अंडर-17 एशियाई कप 2026 क्वालीफायर की मेजबानी की। यह शहर अगले साल एशियाई भारोत्तोलन चैंपियनशिप और एशिया पैरा-तीरंदाजी कप की मेजबानी करेगा। इसके अलावा 2029 में विश्व पुलिस और फायरफायटिंग गेम्स अहमदाबाद, गांधीनगर और एकता नगर में आयोजित किए जाएंगे।
सरदार वल्लभभाई पटेल खेल परिसर उन प्रमुख स्थलों में से एक है, जिसको इन खेलों के लिए तैयार किया जा रहा है। इनमें एक लाख से अधिक दर्शकों की क्षमता वाला नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम भी शामिल है। इसके अलावा इस परिसर में एक जलक्रीड़ा केंद्र और एक फुटबॉल स्टेडियम के साथ-साथ इनडोर खेलों के लिए दो मैदान भी होंगे। इस परिसर के अंदर 3,000 लोगों के रहने की क्षमता वाला खेल गांव भी बनाया जाएगा।