एक दर्जी, जो दिन में कपड़े सिलता और रात होते ही खूनी शिकारी बन जाता। आदेश खामरा नाम का यह शख्स भोपाल की गलियों में रहता था, लेकिन उसके जुर्म की दास्तान पूरे देश को दहला चुकी हैं। 9 सालों में 34 मासूम लोगों को मौत के घाट उतारने वाला आदेश अब जेल में है, लेकिन अब उसका बेटा शुभम भी उसी राह पर चल पड़ा है। हाल ही में शुभम ने मामूली कहासुनी के बाद एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी। यह वारदात एक बार फिर आदेश खामरा के अंधेरे अतीत को उजागर कर गई है।
दर्जी का खौफनाक दोहरा चेहरा
आदेश खामरा, जो भोपाल के मंडीदीप इलाके में सिलाई की दुकान चलाता था, दिन में एक साधारण दर्जी कारीगर की तरह दिखता था। लेकिन रात होते ही वह इंसान से हैवान बन जाता। उसका निशाना थे ट्रक ड्राइवर और क्लीनर।
आदेश उन्हें पहले दोस्ती के झांसे में लेता, फिर नशीला खाना खिलाकर बेहोश करता। इसके बाद बेरहमी से उनकी हत्या कर देता और लाशों को सुनसान जगहों पर फेंक देता। मरा हुआ ड्राइवर और लूटा हुआ ट्रक – आदेश उस ट्रक को बेच देता और पुलिस के हाथ खाली रह जाते।
गुनाह की विरासत, जो चाचा से मिली
आदेश ने खुद कबूल किया कि यह कातिलाना हुनर उसने अपने चाचा से सीखा, जो 80 के दशक में ट्रक लूट गैंग चलाता था। चाचा ही उसका "गुरु" था। अपराध की बारीकियां, पुलिस से बचने के तरीके – सब कुछ चाचा से ही मिला। यही वजह रही कि 8 साल तक आदेश पुलिस को चकमा देता रहा।
2010 से 2018 के बीच UP, MP और ओडिशा के हाईवे पर एक के बाद एक ट्रक ड्राइवर लापता होते गए – कुछ की लाशें मिलीं, कुछ का कोई सुराग नहीं। पुलिस के पास न CCTV था, न कोई पहचान।
पहली बड़ी चूक, और फिर गिरफ्तारी
2018 में भोपाल के बिलखिरिया में एक ट्रक ड्राइवर की लाश मिली। यहीं से जांच ने रफ्तार पकड़ी। एक संदिग्ध की गिरफ्तारी हुई और धीरे-धीरे आदेश खामरा की हैवानियत का चेहरा सामने आया। गिरफ्तारी के वक्त आदेश जंगल में छिपा हुआ था, लेकिन भोपाल क्राइम ब्रांच ने उसे वहां से भी ढूंढ निकाला।
अब आदेश भोपाल सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। जेल अधिकारियों के अनुसार, वह अब धार्मिक किताबें पढ़ता है और शांति से रहता है। लेकिन जिन 34 परिवारों ने अपनों को खोया, उनके लिए आदेश आज भी एक हैवान और शैतान है।
आदेश का बेटा शुभम भी अब उसी राह पर चल पड़ा है। भोपाल में शराब कंपनी में काम करने वाले सहकर्मी की हत्या के आरोप में पुलिस ने शुभम को गिरफ्तार किया है। आरोपी शुभम कमरा ने कथित तौर पर मामूली विवाद के बाद कृपाराम राजपूत की पीट-पीटकर हत्या कर दी, जो बाद में हिंसक झड़प में बदल गया।
रविवार रात मंडीदीप के पास एक पुल के पास हुए जानलेवा हमले के बाद शुभम और पीड़ित के साथ काम करने वाले चार अन्य लोगों को हिरासत में ले लिया गया। विवाद शुभम और कृपाराम के बीच तीखी बहस से शुरू हुआ।
जब कृपाराम ने कथित तौर पर शुभम को थप्पड़ मारा, तो उसने जवाबी कार्रवाई करते हुए अपने साथियों को इकट्ठा किया और लाठी-डंडों से कृपाराम पर हमला कर दिया।
शुभम और अन्य चार आरोपियों पर BNS अधिनियम की धारा 103(1) और दूसरे कानूनों के तहत आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।