पितृ पक्ष लगभग 16 दिनों तक चलता है और यह पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का समय होता है। इस दौरान पूर्वजों की याद और सम्मान प्रकट किया जाता है।
लोहे के सामान, नए कपड़े, सोने-चांदी के गहने, वाहन, जूते-चप्पल, मांगलिक सामान और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन आदि खरीदना इस अवधि में अशुभ माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इन चीजों की खरीददारी से नकारात्मक ऊर्जा घर में आ सकती है और पितृ दोष लगने का खतरा रहता है, जिससे परिवार में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
पितृ दोष तब होता है जब पूर्वजों की आत्मा को शांति न मिले हो या श्राद्ध ठीक से न किया जाए। इसके कारण व्यक्ति को आर्थिक, पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है।
धार्मिक वस्तुएं जैसे जौ, काले तिल, कुशा, चावल, धूप-दीप, धार्मिक पुस्तकें आदि खरीदना शुभ माना जाता है। ये वस्तुएं पूजा-पाठ के लिए उपयोगी होती हैं और पितरों को प्रसन्न करती हैं।
शुद्ध जल, काले तिल और कुशा जैसे वस्त्रों का प्रयोग तर्पण में किया जाता है। तर्पण विधि सही समय और तरीके से करना पितरों की शांति के लिए आवश्यक है।
श्राद्ध अक्सर प्रतिपदा से अमावस्या तक किया जाता है। श्राद्ध के दौरान विशेष मुहूर्त में स्नान और पूजा करते हुए दान-दक्षिणा देना चाहिए।
पितृ पक्ष में गरीबों को दान करना, ब्राह्मणों को भोजन कराना और सेवा भाव रखना शुभ माना जाता है। इससे पितरों की प्रसन्नता और आत्मा की शांति होती है। पित्र दोष निदान के लिए विशेष उपाय जैसे व्रत, पूजा और दान करना लाभदायक होता है। साथ ही, शुभ कार्यों से बचना चाहिए और संयम बनाए रखना चाहिए।