मुंबई में इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून 16 दिन पहले आ गया है, जो कि पिछले कई दशकों में सबसे जल्दी आया मानसून है। इतनी जल्दी और तेज बारिश ने मुंबई में एक बार फिर सड़कों, रेलवे ट्रैकों और नए खुले मेट्रो स्टेशनों को जलमग्न कर दिया है। इस हालात ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि हर साल की तरह इस बार भी “मैक्सिमम सिटी” भारी बारिश में क्यों डूब जाती है?
मुंबई का ड्रेनेज सिस्टम क्यों बारिश में कमजोर पड़ जाता है?
मुंबई का पानी निकासी (ड्रेनेज) सिस्टम समुद्र की लहरों यानी ज्वार-भाटा (टाइड) पर निर्भर करता है। जब समुद्र में पानी कम (लो टाइड) होता है, तब बारिश का पानी आसानी से अरब सागर में चला जाता है। लेकिन अगर बारिश के समय हाई टाइड (समुद्र में पानी ज्यादा) हो, तो हालत खराब हो जाती है। उस वक्त लॉक गेट्स को बंद करना पड़ता है. ताकि समुद्र का पानी शहर में न आए।
इस दौरान पंपिंग स्टेशन पानी निकालने की कोशिश करते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा पानी जमा होने की वजह से इसमें समय लगता है। नतीजा ये होता है कि शहर के निचले इलाकों में पानी भर जाता है।
मुंबई की जमीन की बनावट भी बनती है मुसीबत
मुंबई पहले 7 अलग-अलग टापुओं (द्वीपों) से मिलकर बना था। धीरे-धीरे इन्हें जमीन की भराई (लैंड रिक्लेमेशन) करके एक बड़ा शहर बनाया गया। इससे बहुत सारे निचले इलाके बन गए। जब जोरदार बारिश होती है, तो पानी इन इलाकों में जमा हो जाता है।
भले ही शहर में पानी निकासी के लिए नालियों और पंपों का बड़ा नेटवर्क है, फिर भी तेज बारिश में पानी बाहर निकालने में देरी होती है। इस कारण जगह-जगह पानी भरने लगता है।
क्या मुंबई में बारिश का पैटर्न बदला है और क्यों ये चिंता की बात है?
हां, अब बारिश का तरीका पहले से बदल गया है। पहले मानसून की बारिश धीरे-धीरे और लंबे समय तक होती थी। अब अक्सर ऐसा होता है कि कुछ ही घंटों में बहुत ज्यादा बारिश हो जाती है। इस तेज और अचानक बारिश से नालियां ओवरफ्लो हो जाती हैं और शहर जलभराव का शिकार हो जाता है।
मानसून इस साल 27 मई को आ गया, जबकि आमतौर पर यह 11 जून को आता है। यह 2001 से 2025 के बीच सबसे जल्दी आया मानसून है।
क्या इस साल मानसून से पहले की तैयारी अधूरी रह गई?
हां, बारिश जल्दी आ जाने की वजह से जरूरी तैयारी पूरी नहीं हो पाई। हर साल BMC (मुंबई नगर निगम) मानसून से पहले नालों की सफाई और गाद हटाने का काम करती है।
लेकिन इस साल मानसून (Monsoon) जल्दी आ गया, जिससे ये काम अधूरा रह गया। नतीजतन बारिश के समय नालियां ठीक से काम नहीं कर पाईं और शहर में पानी भर गया।
क्या मुंबई में हर बार की तरह फिर बीएमसी की नाकामी है?
BMC ने खुद माना है कि ड्रेनेज की सफाई का काम पूरा नहीं हुआ था, जिसकी वजह से बारिश में जलभराव की स्थिति पैदा हुई। मानसून से पहले के ये काम शहर को बाढ़ से बचाने में बहुत जरूरी होते हैं। इस बार बारिश जल्दी आ जाने से ये काम बीच में रुक गए और मुंबई को इसका असर झेलना पड़ा।