अक्सर हम डॉलर की चर्चा करते हैं, लेकिन कई दूसरी मुद्रा डॉलर से कहीं ज्यादा मजबूत है। चलिए जानते है कि 2025 में कौन-कौन सी मुद्राएं दुनिया में सबसे कीमती हैं और इनके पीछे क्या कारण हैं।
कुवैती दीनार
कुवैत की दीनार लगातार दुनिया की सबसे मजबूत मुद्रा बनी हुई है। इसके पीछे बड़ी वजह है तेल की मांग, मजबूत आर्थिक नीतियां और भारी विदेशी मुद्रा भंडार। बता दें कि 1 कुवैती दीनार की कीमत लगभग 3.27 अमेरिकी डॉलर के बराबर है।
बहरीन दीनार
बहरीन की अर्थव्यवस्था भी तेल और गैस पर आधारित है। बहरीनी दीनार की ताकत का मुख्य स्त्रोत देश की आर्थिक स्थिरता और डॉलर के साथ इसकी पेगिंग है। 1 बहरीनी दीनार के बदले करीब 2.65 डॉलर मिलते हैं।
ओमान रियाल
ओमान न केवल तेल उत्पादन के लिए जाना जाता है, बल्कि उसकी राजनीतिक स्थिरता और निर्यात में वृद्धि इसकी मुद्रा को मजबूत बनाती है। 1 ओमानी रियाल करीब 2.60 डॉलर के बराबर है।
जॉर्डनियन दीनार
जॉर्डनी दीनार भी पांचवे स्थान पर है, हालांकि देश की अर्थव्यवस्था तेल पर ज्यादा निर्भर नहीं है। 1 जॉर्डनियन दीनार की कीमत 1.41 डॉलर है।
ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग
ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग दुनिया की सबसे पुरानी मुद्रा है और आज भी काफी मजबूत है। बदलते वैश्विक हालात के बावजूद 1 पाउंड की कीमत 1.37 डॉलर के करीब है।
जिब्राल्टर पाउंड
ब्रिटिश टेरिटरी जिब्राल्टर की मुद्रा भी मजबूत है। इसकी मजबूती का कारण इसकी बैंकिंग प्रणाली और ब्रिटिश पाउंड के साथ नजदीकी संबंध हैं। 1 जिब्राल्टर पाउंड भी 1.37 डॉलर के करीब है।
मजबूत मुद्रा का मतलब क्या है?
मजबूत मुद्रा का अर्थ होता है उसकी ज्यादा खरीदने की क्षमता। इसका फायदा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार से सामान सस्ता आता है और आयात करने वाली अर्थव्यवस्था को राहत मिलती है।
कुछ सालों में अमेरिकी डॉलर और भारतीय रुपये व्यापक रूप से इस्तेमाल होते हैं, लेकिन मजबूत मुद्राओं की सूची में ये ऊपर नहीं आते क्योंकि इनकी प्रति यूनिट खरीद शक्ति कम है।