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Ratti Bhar phrase: ‘रत्ती भर भी फायदा नहीं मिला’, क्या है रत्ती और कैसे बना मुहावरा?

Ratti Bhar phrase: क्या आपने कभी सोचा है कि मुहावरा ‘रत्ती भर’ कहां से आया? यह बेहद छोटा माप कभी सोना, चांदी और मोतियों को तौलने के काम आया। इतनी छोटी इकाई की बड़ी कहानी है, जिसने भाषा और जीवन में अपनी खास जगह बनाई

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 01, 2025 पर 11:02 AM
Ratti Bhar phrase: ‘रत्ती भर भी फायदा नहीं मिला’, क्या है रत्ती और कैसे बना मुहावरा?
Ratti Bhar phrase: रत्ती का वजन बहुत कम था, इसलिए जब कोई चीज बहुत थोड़ी मात्रा में हो

हम सभी ने अक्सर सुना होगा, "तुम्हें रत्ती भर भी शर्म नहीं है" या "मुझे रत्ती भर भी फायदा नहीं मिला।" यह मुहावरा बोलचाल में आम लगता है, लेकिन इसके पीछे एक दिलचस्प इतिहास छिपा है। ‘रत्ती’ असल में एक छोटा बीज है, जिसे गूंजा कहते हैं, और इसका वजन लगभग 0.121 ग्राम होता है। पुराने समय में सोना, चांदी और मोती का सटीक वजन मापने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था। रत्ती का वजन स्थिर और भरोसेमंद माना जाता था, इसलिए इसे कीमती वस्तुओं के लिए तराजू की छोटी इकाई के रूप में अपनाया गया। धीरे-धीरे ‘रत्ती’ का प्रयोग मुहावरों में भी होने लगा।

अब इसका मतलब केवल वजन नहीं, बल्कि किसी चीज की बेहद थोड़ी मात्रा, लाभ, नुकसान या भावना की कमी को दर्शाने के लिए होता है। यही वजह है कि यह मुहावरा आज हमारी भाषा में इतनी आसानी से इस्तेमाल किया जाता है।

रत्ती क्या है?

रत्ती असल में एक छोटा बीज होता है, जिसे आम बोलचाल में 'गूंजा' कहते हैं। ये बीज दिखने में मटर जैसी गोल होती हैं, लेकिन छूने पर मोती की तरह कठोर महसूस होती हैं। इन बीजों का वजन लगभग 0.121 ग्राम होता है। यह छोटी और सटीक वजन वाली प्रकृति ही इसे खास बनाती है।

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