भारत की नदियां सिर्फ जल का स्रोत नहीं हैं, बल्कि जीवन का आधार भी मानी जाती हैं। खेती, सिंचाई, जल आपूर्ति और धार्मिक आस्था हर क्षेत्र में नदियों की अहम भूमिका है। इंटरनेट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबीक, भारत में 400 से ज्यादा नदियां बहती हैं। इनमें से ज्यादातर आठ प्रमुख नदियों गंगा, यमुना, सिंधु, गोदावरी, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, कृष्णा और ताप्ति में आकर मिल जाती हैं। ये नदियां उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी का खजाना हैं और जल प्रदूषण को बहाकर ले जाने में भी मदद करती हैं।
किस राज्य में बहती हैं सबसे ज्यादा नदियां?
भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा नदियां बहती हैं। यहां कुल 48 नदियां बहती हैं, जिनमें से अधिकतर नदियां गंगा नदी में मिल जाती हैं। गंगा, यमुना, घाघरा, चम्बल और बेतवा जैसी प्रमुख नदियां न सिर्फ खेती के लिए पानी देती हैं, बल्कि लोगों की आस्था और जीवन का आधार भी हैं।
नदियों को देवी-देवता के रूप में देखने की परंपरा
भारतीय संस्कृति में नदियों को सिर्फ जल स्रोत नहीं माना जाता, बल्कि उन्हें जीवनदायिनी देवी के रूप में पूजते हैं। यही कारण है कि गंगा, यमुना और सरयू जैसी नदियां धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत पवित्र मानी जाती हैं।
उत्तर प्रदेश की सभी 48 नदियों की सूची
यूपी की नदियां अलग-अलग क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं और कई नदियां आपस में मिल जाती हैं। यहां बहने वाली प्रमुख नदियों में शामिल हैं:
अस्सी, बाबई, बकुलाही, बनास, बेलन, बेसु, बेतवा, भैंसाही, भैंसाई, चम्बल, छोटी सरयू, देवहा, धासन, गांगी, गंगा, गोमती, घाघरा, हिंडन, जामनी, काली, कहार, कर्मनासा, कथाना, केन, खोखरी, कोसी, कुकरैल, मगई, मेघाई, पिराई, रामगंगा, रिहांड, रोहनी, साई, सरायन, ससुर खदेरी, सेंगर, शारदा, सिंध, सोन, सोत, सुहेली, तमसा, उल, वरुणा, वकाल, वेस्ट राप्ती और यमुना।
इलाहाबाद (प्रयागराज) जैसे स्थानों पर गंगा, यमुना और सरस्वती (अब दिखाई नहीं देती) का संगम धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। नदियां न केवल जल संसाधन प्रदान करती हैं, बल्कि कृषि उत्पादन बढ़ाने, मछली पालन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा देने में भी मदद करती हैं।