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क्या है सुप्रिया सुले का 'राइट टू डिसकनेक्ट बिल' ? इस पर सोशल मीडिया पर दिलचस्प प्रतिक्रिया आ रही है

एनसीपी-एसपी सांसद सुप्रिया सुले ने 8 दिसंबर को 'राइट टू डिसकनेक्ट बिल, 2025' लोकसभा में पेश किया। इस बिल में 'राइट टू डिसकनेक्ट' की परिभाषा दी गई है। इसके मुताबिक, एंप्लॉयी के पास ऑफिस के काम के तय घंटों के बाद फोन कॉल, मैसेजेज या ईमेल का जवाब नहीं देने का अधिकार होना चाहिए

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Dec 09, 2025 पर 4:23 PM
क्या है सुप्रिया सुले का 'राइट टू डिसकनेक्ट बिल' ? इस पर सोशल मीडिया पर दिलचस्प प्रतिक्रिया आ रही है
इस बिल में एंप्लॉयीज वेल्फेयर कमेटीज बनाने की मांग की गई है।

एनसीपी-एसपी सांसद सुप्रिया सुले ने 8 दिसंबर को 'राइट टू डिसकनेक्ट बिल, 2025' लोकसभा में पेश किया। उन्होंने ऐसे वक्त यह बिल पेश किया, जब कई बड़ी कंपनियां एंप्लॉयीज के काम के तय घंटे बढ़ाने पर विचार कर रही हैं। सुले ने बिल पेश करने की एक संक्षिप्त रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने इसमें कहा है कि इस बिल का मकसद एंप्लॉयीज पर दबाव कम करना है। मैसेज, ईमेल जैसे डिजिटल कम्युनिकेशन की वजह से एंप्लॉयीज पर दबाव बढ़ जाता है।

राइट टू डिसकनेक्ट का मतलब

इस बिल में 'राइट टू डिसकनेक्ट' की परिभाषा दी गई है। इसके मुताबिक, एंप्लॉयी के पास ऑफिस के काम के तय घंटों के बाद फोन कॉल, मैसेजेज या ईमेल का जवाब नहीं देने का अधिकार होना चाहिए। अगर एंप्लॉयी को काम के घंटों के बाद ऑफिस से फोन, मैसेजेज या ईमेल जाता है तो उसका जवाब नहीं देना उसका अधिकार होना चाहिए। अगर वह काम के तय घंटों के बाद ऐसे कॉल या मैसेजेज का जवाब नहीं देता है तो इसे अनुशासनहीनता नहीं माना जाना चाहिए।

सुले ने पहले भी पेश किया था ऐसा प्रस्ताव

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