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ग्रामीण भारत में डिजिटल ऑनबोर्डिंग अब भी बड़ी चुनौती, गरीबों पर सबसे अधिक असर: जीरोधा के CEO नितिन कामत

जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामत (Nithin Kamath) का कहना है कि फिनटेक कंपनियों ने देश में वित्तीय समावेशन को तेजी से बढ़ाया है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। हालांकि, इसके बावजूद अभी भी ग्रामीण और कमजोर वर्गों के लिए डिजिटल ऑनबोर्डिंग की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण बनी हुई है

Edited By: Vikrant singhअपडेटेड Oct 14, 2025 पर 10:23 AM
ग्रामीण भारत में डिजिटल ऑनबोर्डिंग अब भी बड़ी चुनौती, गरीबों पर सबसे अधिक असर: जीरोधा के CEO नितिन कामत
नितिन कामत (Nithin Kamath), जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर और सीईओ

जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामत (Nithin Kamath) का कहना है कि फिनटेक कंपनियों ने देश में वित्तीय समावेशन को तेजी से बढ़ाया है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। हालांकि, इसके बावजूद अभी भी ग्रामीण और कमजोर वर्गों के लिए डिजिटल ऑनबोर्डिंग की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। कामत का कहना है कि डिजिटल टेक्नोलॉजी को इस तरह डिजाइन करने की जरूरत है जिससे यह यूजर-केंद्रित हो और उन समुदायों की जरूरतों और सीमाओं को ध्यान में रखे जो अभी भी तकनीकी रूप से पिछड़े हैं।

नितिन कामत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा, "भारत की फाइनेंशिल सर्विस इंडस्ट्री ने आधार ई-साइन (Aadhaar e-Sign), ई-केवाईसी (eKYC) जैसी डिजिटल ऑनबोर्डिंग सुविधाओं से काफी लाभ उठाया है। इसमें हमारी कंपनी जीरोधा भी शामिल हैं। इसी के चलते देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों और ग्रामीण इलाकों में वित्तीय समावेशन तेजी से बढ़ा है। जो लोग पहले औपचारिक फाइनेंशियल सिस्टम से नहीं जुड़े थे, वे भी इससे जुड़े।"

हालांकि, कामत ने यह भी कहा कि ग्रामीण भारत में डिजिटल सिस्टम के संचालन में कई व्यावहारिक चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि भले ही डिजिटलीकरण से धोखाधड़ी और रिसोर्स बर्बादी में कमी आई है, लेकिन कोई भी तकनीकी सिस्टम पूरी तरह परफेक्ट नहीं होता।

डिजिटल सिस्टम की समस्याएं

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