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जिंदा महिलाओं से ज्यादा कीमती हैं लाश! अफगानिस्तान भूकंप में औरतों का नहीं हो रहा रेस्क्यू, बीच में आ रहा तालिबानी कानून

Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान की इस त्रासदी का सबसे बड़ा दर्द यह है कि जिन महिलाओं ने किसी तरह मौत से जंग जीत भी ली और अब भी मलबे के नीचे जिंदा हैं, उन्हें बचाया नहीं जा रहा। सिर्फ इसलिए कि वहां महिलाओं को छुने पर पाबंदियां हैं, क्योंकि बचाने वाले ज्यादातर पुरुष हैं और महिला रेस्क्यू वर्कर्स नहीं हैं। उनकी धड़कनें अब भी चल रही हैं, उनकी सांसें अब भी मलबे की धूल में लड़खड़ा रही हैं, लेकिन मदद के हाथ उन तक पहुंच कर भी आगे बढ़ने से रुक जाते हैं

Shubham Sharmaअपडेटेड Sep 05, 2025 पर 7:54 PM
जिंदा महिलाओं से ज्यादा कीमती हैं लाश! अफगानिस्तान भूकंप में औरतों का नहीं हो रहा रेस्क्यू, बीच में आ रहा तालिबानी कानून
अफगानिस्तान भूकंप में औरतों का नहीं किया जा रहा रेस्क्यू, तालिबान के सख्त कानून से आ रही अड़चन (PHOTO-AP)

सदियों पुरानी बंदिशों ने अफगानिस्तान की महिलाओं को हमेशा पीछे ही रखा। और अब वही बंदिशें उनकी जिंदगी पर सबसे भारी पड़ रही हैं। भूकंप और उसके बाद आए झटकों ने हजारों घरों को मिट्टी में मिला दिया, कम से कम 2,200 लोगों की जान चली गई। लेकिन उससे भी ज्यादा दुख की बात ये है कि इस भयावह आपदा में जिंदा बचीं औरतों का पहले रेस्क्यू ही नहीं किया जा रहा और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा है।

अफगानिस्तान की इस त्रासदी का सबसे बड़ा दर्द यह है कि जिन महिलाओं ने किसी तरह मौत से जंग जीत भी ली और अब भी मलबे के नीचे जिंदा हैं, उन्हें बचाया नहीं जा रहा। सिर्फ इसलिए कि वहां महिलाओं को छुने पर पाबंदियां हैं, क्योंकि बचाने वाले ज्यादातर पुरुष हैं और महिला रेस्क्यू वर्कर्स नहीं हैं। उनकी धड़कनें अब भी चल रही हैं, उनकी सांसें अब भी मलबे की धूल में लड़खड़ा रही हैं, लेकिन मदद के हाथ उन तक पहुंच कर भी आगे बढ़ने से रुक जाते हैं।

उससे भी ज्यादा दिल दहला देने वाला तो ये है कि जहां जिंदा महिलाएं मदद की लिए चीख रही हैं, तो वहीं उनके पास पड़ी लाशों को पहले बाहर निकाला जा रहा है।

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