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Pitra Paksha 2025: ग्रहण से शुरू और ग्रहण पर खत्म, क्या शुभ नहीं इस बार के पितृ पक्ष?

Pitra Paksha 2025: श्राद्ध की शुरुआत और समापन दोनों ग्रहण के साथ होना बेहद दुर्लभ घटना है। लेकिन इसे लेकर लोगों के मगर शंका पनप रही है, कहीं इस बार के पितृ पक्ष कोई अशुभ संकेत तो नहीं दे रहे हैं। इस बारे में क्या कहते हैं हमारे धार्मिक शास्त्र? आइए जानें इसके बारे में

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 05, 2025 पर 8:36 PM
Pitra Paksha 2025: ग्रहण से शुरू और ग्रहण पर खत्म, क्या शुभ नहीं इस बार के पितृ पक्ष?
पितृ पक्ष में 15 दिनों के भीतर लग रहे दो ग्रहण दे रहे हैं कैसा संकेत, आइए जानें।

Pitra Paksha 2025: इस साल पितरों के श्राद्ध और तर्पण की अवधि यानी पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि पर पूर्ण चंद्र ग्रहण लग रहा है। 7 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं और इसी दिन साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। साल 2025 के पितृ पक्ष में सिर्फ एक यही संयोग नहीं है। इस साल श्राद्ध पक्ष का समापन भी ग्रहण के साथ हो रहा है। 7 सितंबर के ठीक 15 दिन बाद यानी सर्वपितृ अमावस्या के दिन 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है। इस साल पितृ पक्ष में बन रहा ये दुर्लभ संयोग जहां कौतुहल का कारण है, वहीं कुछ लोगों के मन में इसे लेकर शंका भी खड़ी हो रही है, क्या इस बार के पितृ पक्ष शुभ नहीं हैं? इस बारे में हमारे धर्म शास्त्र क्या कह रहे हैं, आइए जानते हैं।

पितृ पक्ष की 15-16 दिनों की अवधि को हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। माना जाता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज अपने वंशजों से मिलने के लिए धरती पर आते हैं। इस दौरान उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। अपने वंशजों से प्रसन्न पितृ उन्हें आशीर्वाद देकर वापस लौट जाते हैं।

चंद्र ग्रहण से हो रही पितृपक्ष की शुरुआत

इस साल पितृपक्ष की शुरुआत में साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण लगेगा। भाद्रपद पूर्णिमा को लग रहा यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा। इस ग्रहण का सूतक काल 12.59 बजे से शुरू हो जाएगा। चंद्र ग्रहण रात 9.57 बजे से मध्यरात्रि 1.26 बजे तक रहेगा। यह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में घटित होने वाला है। इस समय राहु और चंद्रमा दोनों कुंभ राशि में होंगे। धार्मिक विशेषज्ञों का कहना है कि सूतक काल से पहले पितरों का तर्पण कर सकते हें। आप चाहें तो सूतक काल के समय पितरों के नाम का दान कर सकते हैं। अगर आप सूतक लगने से पहले पिंडदान करना चाहते हैं तो कर लें, अन्यथा ग्रहण के समापन के बाद करें।

सर्वपितृ अमावस्या पर लग रहा सूर्य ग्रहण

सर्वपितृ अमावस्या यानी 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है। यह ग्रहण रात 11 बजे से अगले दिन यानी 22 सितंबर को तड़के 3.24 बजे तक रहेगा। साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या की रात को सूर्य ग्रहण लगने वाला है इसलिए सभी कार्य दिन में कर सकते हैं।

15 दिन में दो ग्रहण कभी शुभ नहीं माने जाते

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