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चाय से लेकर EVs तक, चीन में सस्ता सामान बेचा, तो अब खैर नहीं! सरकार लाई नया कानून

बीते कुछ महीनों से चीन में कई कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स—चाहे वो बबल टी हो या इलेक्ट्रिक कार (EV)—इतने सस्ते में बेच रही थीं कि वो अपनी लागत से भी नीचे जा रही थीं। सरकार को लगा कि इस तरह की प्रतिस्पर्धा से न सिर्फ बाजार अस्थिर हो रहा है, बल्कि छोटे व्यापारी और नई कंपनियां इसमें टिक नहीं पा रही हैं

Shubham Sharmaअपडेटेड Jun 30, 2025 पर 3:15 PM
चाय से लेकर EVs तक, चीन में सस्ता सामान बेचा, तो अब खैर नहीं! सरकार लाई नया कानून
China News: चीन में सस्ता सामान बेचना अब पड़ेगा महंगा, सरकार लाई नया कानून

किसी भी देश की जनता अपनी सरकार से यही चाहती है कि वो महंगाई पर काबू करे और जरूरत की चीजों के दाम कम करे और होना भी ऐसा ही चाहिए... लेकिन चीन ने किया इसका बिल्कुल उल्टा...बल्की सरकार एक ऐसा कानून लेकर आई, जो कहता है कि सस्ते दाम पर सामान बेचना महंगा पड़ सकता है...सवाल ये है कि आखिर चीन जैसा देश क्या अपनी जनता की भलाई नहीं चाहता? और उसने इस तरह का कदम आखिर क्यों उठाया, तो चलिए समझाते हैं आपको ये पूरा माजरा क्या है...दरअसल चीन में कंपनियों ने एक-दूसरे को पछाड़ने के चक्कर में प्राइस वॉर छेड़ रखी थी। कोई चाय पानी से भी सस्ती बेच रहा था, तो कोई बाइक के दामों में इलेक्ट्रिक कार बेच रहा था। मगर अब सरकार ने इस ‘सस्तेपन के महायुद्ध’ पर लगाम कस दी है।

एक नया कानून लाकर चीन ने साफ कर दिया है कि घाटे में बेचकर बाजार में कब्जा जमाने का खेल अब खत्म! अब जो कंपनी जानबूझकर कम दाम पर सामान बेचेगी, वो सिर्फ नुकसान नहीं उठाएगी, बल्कि कानून की मार भी झेलेगी।

बीते कुछ महीनों से चीन में कई कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स—चाहे वो बबल टी हो या इलेक्ट्रिक कार (EV)—इतने सस्ते में बेच रही थीं कि वो अपनी लागत से भी नीचे जा रही थीं। सरकार को लगा कि इस तरह की प्रतिस्पर्धा से न सिर्फ बाजार अस्थिर हो रहा है, बल्कि छोटे व्यापारी और नई कंपनियां इसमें टिक नहीं पा रही हैं। इसी वजह से अब चीन ने अपने एंटी-अनफेयर कॉम्पिटिशन कानून (Unfair Competition Law) में बदलाव किया है।

इस बदलाव के पीछे एक बड़ा कारण यह था कि चीन में कुछ बबल टी ब्रांड अपने ड्रिंक्स सिर्फ 30 सेंट (करीब ₹25) में बेच रहे थे। वहीं, कुछ ईवी कंपनियां अपनी इलेक्ट्रिक कारें मात्र 9,900 युआन (करीब ₹1.15 लाख) में ग्राहकों को ऑफर कर रही थीं। सोचिए, इतनी कम कीमतों में बेचना किसी भी सामान्य बाजार तंत्र के लिए खतरे की घंटी है। ये सब कंपनियां जानबूझकर घाटे में सामान बेच रही थीं ताकि ग्राहक उनकी ओर खिंचे और बाकी ब्रांड खुद-ब-खुद बंद हो जाएं। इसे ही अंग्रेजी में "Predatory Pricing" कहा जाता है, और अब चीन इसे सीधा-सीधा "अवैध प्रतिस्पर्धा" की श्रेणी में रख रहा है।

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